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ASI On Sambhal Jama Masjid: संभल जामा मस्जिद विवाद के बीच केंद्र सरकार की कोर्ट में याचिका, एएसआई को प्रबंधन और कंट्रोल देने की मांग

ASI On Sambhal Jama Masjid: संभल की जामा मस्जिद को हिंदू पक्ष श्रीहरिहर मंदिर तोड़कर बनाया गया बता रहा है। वहीं, अब केंद्र सरकार ने भी संभल के कोर्ट में कहा है कि एएसआई को जामा मस्जिद का प्रबंधन और कंट्रोल करने दिया जाए। उसने अपनी याचिका में कई और बातें भी कही हैं।

संभल। संभल की जामा मस्जिद को हिंदू पक्ष श्रीहरिहर मंदिर तोड़कर बनाया गया बता रहा है। वहीं, अब केंद्र सरकार ने भी संभल के कोर्ट में कहा है कि एएसआई को जामा मस्जिद का प्रबंधन और कंट्रोल करने दिया जाए। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक एएसआई की तरफ से संभल कोर्ट में बताया गया है कि जामा मस्जिद साल 1920 से संरक्षित स्मारक है। एएसआई ने कहा है कि इसे संभालने का जिम्मा उसका है। एएसआई ने कोर्ट में कहा है कि संभल की जामा मस्जिद के संरक्षण में उसे मस्जिद कमेटी और स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। एएसआई ने कोर्ट को ये भी बताया है कि इस मामले में 19 जनवरी 2018 में एक एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी।

एएसआई केंद्र सरकार के तहत आती है। एएसआई का काम प्राचीन भवनों के संरक्षण और उसके प्रबंधन का है। खास बात ये है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के दायरे से एएसआई संरक्षित प्राचीन इमारतों और स्मारकों को बाहर रखा गया है। ऐसे में संभल की जामा मस्जिद के संबंध में मस्जिद कमेटी और मुस्लिम नेता एक्ट की जो दलील दे रहे हैं, वो भी खारिज हो सकती है। बहरहाल, अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ये तय करेगा कि संभल की जामा मस्जिद का कोर्ट आधारित सर्वे सही है या गलत। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संभल के स्थानीय कोर्ट को हाईकोर्ट के आदेश तक कोई सुनवाई या आदेश जारी न करने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट कमिश्नर की सर्वे रिपोर्ट भी सीलबंद लिफाफे में रखने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने किया है।

हिंदू पक्ष का दावा है कि साल 1529 में मुगल बादशाह बाबर के निर्देश पर संभल स्थित श्रीहरिहर मंदिर को ढहाकर उस पर जामा मस्जिद बनाई गई। हिंदू पक्ष ने अपने दावे के समर्थन में बाबरनामा, आईन-ए-अकबरी और अंग्रेज अफसरों की लिखी किताबों का हवाला दिया है। वहीं, मस्जिद कमेटी का कहना है कि मंदिर तोड़कर जामा मस्जिद बनाए जाने का आरोप गलत है। संभल के स्थानीय लोगों का कहना है कि जामा मस्जिद परिसर में एक कुआं है और वहां वे पहले पूजन भी करते रहे हैं। बाद में इस पर रोक लगा दी गई थी।