नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के आदेश के बाद धार स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे कल से शुरू होगा। हिंदू संगठनों के मुताबिक, धार स्थित कमाल मौलाना मस्जिद दरअसल मां सरस्वती मंदिर भोजशाला है, जिसे सन 1034 में राजा भोज ने संस्कृत की पढ़ाई के लिए बनवाया था। इसी को लेकर हिंदू संगठनों की ओर से याचिका दायर की गई थी जिस पर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने 11 मार्च को एएसआई को सर्वे करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने इस मामले में एएसआई से छह सप्ताह के अंदर हाईकोर्ट में रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है। यह सर्वे आधुनिक तरीके से किया जाएगा। सर्वे के दौरान भोजशाला परिसर में दोनों पक्ष के लोग रहेंगे।
भोजशाला को लेकर हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने एक मई 2022 को इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि हर मंगलवार को हिंदू यज्ञ कर भोजशाला को पवित्र करते हैं और मुस्लिम शुक्रवार को नमाज पढ़कर अपवित्र कर देते हैं। इस पर रोक लगाया जाए। भोजशाला को पूरी तरह से हिंदुओं को सौंप दिया जाएगा। साथ ही पूरी जांच करवाने की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद इन बिंदुओं पर सर्वे की मांग स्वीकार कर ली है।
भोजशाला पर हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष के लोग दावा करते हैं। धार जिला प्रशासन की वेबसाइट पर लिखा है कि राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। उन्होंने धार में एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा, जहां छात्र शिक्षा के लिए आते थे। इस भोजशाला या सरस्वती मंदिर, जिसे बाद में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया था, इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं। मस्जिद में एक बड़ा खुला प्रांगण है, जिसके चारों ओर स्तंभों से सज्जित एक बरामदा और पीछे पश्चिम में एक प्रार्थना गृह स्थित है। मस्जिद में नक्काशीदार स्तंभ और प्रार्थना कक्ष की उत्कृष्ट रूप से नक्काशीदार छत भोजशाला के थे।