
गुवाहाटी। असम की हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने विधानसभा में नया बिल पास कराया है। इस बिल का नाम असम हीलिंग (प्रिवेंशन ऑफ एविल) प्रैक्टिसेज है। इस बिल के कानून बनने के बाद असम में कोई भी जादू-टोना या झाड़-फूंक से इलाज नहीं कर सकेगा। इस बिल के पास होने पर ईसाई समुदाय के संगठन ने विरोध जताया है।
असम हीलिंग (प्रिवेंशन ऑफ एविल) प्रैक्टिसेज बिल में कहा गया है कि इससे मासूम लोगों का शोषण करने के लिए अपनाए जाने वाले गैर वैज्ञानिक प्रैक्टिस को अपराध घोषित किया जाता है। ये बिल विज्ञान आधारित इलाज को बढ़ावा देने की बात करता है। इस बिल के जरिए ऐसे विज्ञापनों पर भी रोक लगाई गई है, जो धार्मिक तरीकों से इलाज की बात करते हैं। मैजिकल हीलिंग यानी झाड़-फूंक को गैर जमानती अपराध बनाया गया है। पहली बार अपराध करते पकड़े जाने पर 1 से 3 साल की सजा और 50000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं, दूसरी बार अपराध करने पर दोषी को 5 साल की सजा मिलेगी और 100000 रुपए जुर्माना देना होगा। बिल के पास होने के बाद सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि इसका उद्देश्य धार्मिक प्रचार और प्रसार को भी रोकना है। उनका कहना है कि जादुई तरीके से बीमारी का इलाज आदिवासियों के धर्मांतरण में भी इस्तेमाल किया जाता है।
वहीं, असम हीलिंग (प्रिवेंशन ऑफ एविल) प्रैक्टिसेज बिल के खिलाफ असम क्रिश्चियन फोरम ने बयान जारी किया है। ईसाइयों के इस संगठन का दावा है कि उनके यहां मैजिकल हीलिंग नाम का कोई शब्द है ही नहीं। ईसाइयों के संगठन ने कहा है कि उनके यहां प्रार्थना के जरिए इलाज किया जाता है। उसने दलील दी है कि दुनियाभर में दूसरे धर्मों में भी इलाज के लिए प्रार्थना होती है। ईसाइयों के संगठन असम क्रिश्चियन फोरम के मुताबिक अगर कोई बीमार आता है, तो उसके लिए व्यक्तिगत या सामूहिक तौर पर प्रार्थना होती है। संगठन ने इसे जादू मानने से इनकार करते हुए फेथ हीलिंग यानी विश्वास वाला इलाज करार दिया है।