newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Rajasthan: ‘अशोक गहलोत के राजस्थान में हो रहा दलित छात्रों से भेदभाव’, SC आयोग के अध्यक्ष ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा कि दलित छात्रों को मिड डे मील परोसने में भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। उनको अलग बिठाए जाने की खबरें मिली हैं। उन्होंने राजस्थान सरकार से ऐसे स्कूलों की लिस्ट मांगी है, जहां दलित छात्रों का इस तरह उत्पीड़न किया जा रहा है।

नई दिल्ली। राजस्थान में अशोक गहलोत के राज में दलित छात्रों के उत्पीड़न और उनसे भेदभाव की शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग को मिली है। आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने रविवार को ये बात कही। सांपला ने कहा कि दलित छात्रों को मिड डे मील परोसने में भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। उनको अलग बिठाए जाने की खबरें मिली हैं। एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे विजय सांपला ने कहा कि उन्होंने राजस्थान सरकार से ऐसे स्कूलों की लिस्ट मांगी है, जहां दलित छात्रों का इस तरह उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने ये दावा भी किया कि राजस्थान में मिड डे मील बनवाने के लिए अनुसूचित जाति के लोगों को भी नहीं रखा जा रहा।

vijay sampla

सांपला ने कहा कि इन शिकायतों के मद्देनजर अशोक गहलोत सरकार से पूरी जांच कर रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने कहा कि सरकारी स्कूल में इस तरह का भेदभाव निंदनीय है। उन्होंने कहा कि आयोग ने अन्य राज्यों को भी चिट्ठी लिखकर कहा है कि स्कूलों को मान्यता देने से पहले प्रबंधन से शपथपत्र लिया जाए कि वहां दलितों से भेदभाव नहीं होगा। आयोग के अध्यक्ष ने इस बात पर भी जोर दिया कि टीचर्स को दलितों से भेदभाव खत्म करने की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि जयपुर में 24 और 25 अगस्त को अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग सभी सरकारी विभागों के अफसरों संग दलित उत्पीड़न के मुद्दे पर बैठक करेगा।

Ashok Gehlot

बता दें कि राजस्थान में पिछले करीब 4 साल में दलित उत्पीड़न की दर्जनों घटनाएं हुई हैं। अशोक गहलोत के सत्ता संभालने के 6 महीने बाद ही अप्रैल 2019 में थानागाजी में दलित महिला से पति के सामने ही रेप किया गया था। राजस्थान पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि 2021 की तुलना में दलितों पर अत्याचार के मामलों में इस साल 7.23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हर महीने दलितों के उत्पीड़न की घटनाएं देखी जा रही हैं। दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने के मामले भी काफी हुए हैं।