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Baba Gurmeet Ram Rahim: फिर मिली बाबा गुरमीत राम रहीम के पैरोल को मंजूरी, इतने दिनों के लिए आ सकता है जेल से बाहर

Baba Gurmeet Ram Rahim: 28 अगस्त 2017 में दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे पत्रकार रामचंद छत्रपति की हत्या के मामले में 17 जनवरी 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

नई दिल्ली। दुष्कर्म और हत्या के मामले में रोहतक जेल में बंद गुरमीत राम रहीम की 21 दिनों की पैरोल को फिर से मंजूरी दे दी गई है। इससे पहले भी उसे 6 दफे पैरोल दी जा चुकी है, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में कइयों ने आपत्ति जताई थी। वहीं, अब एक बार फिर से बाबा गरमीत पैरोल पर बाहर आ रहा है, तो बहुत मुमकिन है कि लोगों द्वारा आपत्ति जताई जा सकती है। आपको बता दें कि बाबा गरमीत राम रहीम अभी रोहतक जेल में बंद है, लेकिन अगर वो बाहर आता है, तो वो बागपत स्थित अपने आश्रम में जा सकता है, जहां बड़ी संख्या में उसके अनुयायी रहते हैं।

Gurmeet Singh Ram Rahim

वहीं, उसके पैरोल के लिए राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उसे पैरोल दी गई है। हालांकि, इससे पहले जब वो पैरोल पर बाहर आया था, तो उस वक्त भी लोगों ने यही राग अलापा था। बहरहाल, इस पर किसकी क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन आइए उससे पहले जरा ये जान लेते हैं कि आखिर बाबा गुरमीत राम रहीम किस मामले में सलाखों की हवा खा रहा है?

जानिए पूरा माजरा

दरअसल, आपको बता दें कि 28 अगस्त 2017 में दो साध्वियों से दुष्कर्म के मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 20 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उसे पत्रकार रामचंद छत्रपति की हत्या के मामले में 17 जनवरी 2019 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, इन फैसलों के विरोध में गुरमीत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, लेकिन बाद में उसे खारिज कर दिया गया था। सनद रहे कि गुरमीत को अब तक 6 दफा पैरोल दी जा चुकी है। अब यह सातवीं मर्तबा है, जब उसे पैरोल दी जा रही है। आइए, अब जरा ये जान लेते हैं कि आखिर पैरोल होता क्या है ?

क्या होता है पैरोल

जब किसी मामले में दोषी ठहराया गए आरोपी को घर जाने के लिए रिहाई दी जाती है, तो उसे कानूनी भाषा में पैरोल कहा जाता है, लेकिन गुरमीत को बार-बार मिलने वाले पैरोल पर राजनीतिक गलियारों से आपत्ति जताई जा रही है। इतना ही नहीं, हरियाणा सरकार ने गुरमीत को पैरोल देने के लिए कानून तक में बदलाव करने से गुरेज नहीं किया था।