
नई दिल्ली। बांग्लादेश की पीएम रहीं शेख हसीना इस साल 5 अगस्त को जान बचाने के लिए अपनी बहन शेख रेहाना के साथ भारत आ गई थीं। शेख हसीना अभी भारत में ही हैं। वहीं, शेख हसीना की सरकार का तख्ता पलट होने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर कट्टरपंथियों का कहर बढ़ता जा रहा है। शेख हसीना के भारत आने के बाद बांग्लादेश में कई हिंदुओं की हत्या हुई। तमाम मंदिरों को तोड़ा गया और आगजनी की गई। महिलाओं से गैंगरेप के मामले भी हुए। अब भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। उनको धमकी दी जा रही है।
इंडिया टुडे पत्रिका की खबर के मुताबिक बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ भेदभाव, बहिष्कार की धमकी और शारीरिक हिंसा की जा रही है। पत्रिका की खबर के मुताबिक बांग्लादेश की चटगांव यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर रोंटू दास को मौत की धमकी दी गई। जिसके बाद उनका इस्तीफा लिया गया। इससे पहले भी कई हिंदू शिक्षकों को धमकी देकर उनका इस्तीफा लिए जाने की खबरें भी आई थीं। इतना ही नहीं, जानकारी के अनुसार पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग लेने वाले 252 दारोगाओं को अनुशासनहीनता और अनियमितता का आरोप लगाकर बर्खास्त किया गया। इनमें 91 हिंदू हैं। सभी की नियुक्ति शेख हसीना के शासनकाल में हुई थी।

बांग्लादेश की सरकार अभी नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त मोहम्मद यूनुस चला रहे हैं। मोहम्मद यूनुस के सत्ता संभालते ही कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा मिला और वे हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने लगे। कट्टरपंथी ताकतों के कारण बांग्लादेश में हिंदुओं पर इतना अत्याचार हुआ कि उन्होंने राजधानी ढाका और चटगांव में बड़ी विरोध रैली तक निकाली। बांग्लादेश की सरकार चला रहे मोहम्मद यूनुस खुद ढाका के प्रसिद्ध ढाकेश्वरी मंदिर गए थे और उन्होंने हिंदू समुदाय को भरोसा दिया था कि अत्याचार नहीं होने देंगे। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा का मामला भारत की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी भी मोहम्मद यूनुस के सामने उठा चुके हैं। बावजूद इसके मोहम्मद यूनुस की कार्यकारी सरकार बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार रोकने में नाकाम साबित हो रही है।