नई दिल्ली। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी और 2 अन्य संतों को गिरफ्तार करने और 16 अन्य की संपत्ति जब्त करने के बाद बांग्लादेश की सरकार इस्कॉन के बाकी संतों का भी उत्पीड़न कर रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक बीते शनिवार और रविवार को बांग्लादेश के आव्रजन अफसरों ने इस्कॉन के 63 संतों को भारत आने से रोक दिया। इन सभी के पास भारत का वैध वीजा था। जानकारी के मुताबिक शनिवार को इस्कॉन के 9 संतों को बांग्लादेश के अफसरों ने सीमा पर रोका। जबकि, रविवार को इस्कॉन के 54 संतों को भारत में प्रवेश करने से रोका गया। भारत में इस्कॉन के राधारमण दास ने मीडिया को बताया कि ये सभी संत धार्मिक यात्रा करने बांग्लादेश से आ रहे थे।
जानकारी के मुताबिक भारत और बांग्लादेश के पेट्रोपोल-बेनापोल बॉर्डर पर जब इस्कॉन के संत पहुंचे, तो वहां आव्रजन अफसरों को उन्होंने भारत का वीजा लगा हुआ पासपोर्ट दिया। बांग्लादेश के अफसरों ने इस पर उनके भारत आने को संदिग्ध बताया और सीमा पार करने की मंजूरी नहीं दी। इसके बाद पुलिस ने इस्कॉन के संतों को वापस भेज दिया। इस्कॉन के मुताबिक भारत आने की कोशिश कर रहे ये सभी संत बांग्लादेश के अलग-अलग जिलों से बॉर्डर पर पहुंचे थे। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पहले ही ये संकेत दे चुकी है कि वो इस्कॉन पर प्रतिबंध लगाएगी। बांग्लादेश में कट्टरपंथी भी लगातार इसके लिए अंतरिम सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। यहां तक कि चटगांव में कट्टरपंथियों की भीड़ ने इकट्ठा होकर इस्कॉन के संतों का सिर कलम करने की धमकी भी दी थी।
बांग्लादेश में इस साल 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार का पतन हो गया था। इसके बाद वहां हिंदुओं के खिलाफ हिंसा शुरू हुई थी। तमाम हिंदुओं की हत्या और मंदिरों व घरों को जलाने की घटना के खिलाफ इस्कॉन के पूर्व सचिव रहे चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने लोगों को इकट्ठा किया। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने इसके बाद बांग्लादेश में कई जगह हिंदुओं के खिलाफ हिंसा पर आवाज उठाई। जिसके बाद बीते दिनों बांग्लादेश पुलिस ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी पर देशद्रोह की धारा लगाकर उनको गिरफ्तार कर लिया था। उनसे मिलने गए दो साथियों को भी गिरफ्तार किया गया। चिन्मय की गिरफ्तारी पर भारत ने कड़ा विरोध जताया था। जिसके बाद अब इस्कॉन के अन्य संतों के उत्पीड़न का काम बांग्लादेश में शुरू हो गया है।