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Black Day In History: 37 साल पहले हजारों के हत्यारे को राजीव गांधी की सरकार ने इस तरह बचाया था

भोपाल में गैस रिसाव के बाद हालत ये हो गई कि लोग घरों से जान बचाने के लिए भागे, लेकिन सड़क पर दम तोड़ते रहे। जो लोग हॉस्पिटल पहुंचे, वे भी परेशान थे। क्योंकि डॉक्टरों को पता ही नहीं था कि आखिर इलाज करें तो कैसे।

भोपाल। आज 3 दिसंबर है। आज से ठीक 37 साल पहले देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सुबह से ही चारों ओर चीख-पुकार सुनी जा रही थी। वजह थी मिथाइल आइसोसाइनेट यानी MIC गैस। ये गैस खाद बनाने वाली अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से निकली थी। गैस 2 दिसंबर की रात से निकली और हवा से भारी होने के कारण सतह के करीब पहुंच गई। रात साढ़े 8 बजे से गैस का रिसाव शुरू हुआ और कुछ घंटों में ही फैक्ट्री के करीब रहने वाले हजारों लोगों की जान चली गई। फैक्ट्री में गैस रिसाव हो सकता है, इसकी जानकारी अमेरिका में कंपनी के कर्ताधर्ताओं को थी, लेकिन उन्होंने टैंक से रिसाव रोकने के लिए पहले से कोई कदम नहीं उठाया था।

bhopal gas tragedy 1

गैस रिसाव के बाद हालत ये हो गई कि लोग घरों से जान बचाने के लिए भागे, लेकिन सड़क पर दम तोड़ते रहे। जो लोग हॉस्पिटल पहुंचे, वे भी परेशान थे। क्योंकि डॉक्टरों को पता ही नहीं था कि आखिर इलाज करें तो कैसे। गैस रिसाव के दो दिन में 50 हजार लोगों को अस्पतालों में देखा गया। तमाम लोगों ने आंखों की रोशनी गंवा दी। कितने लोग मारे गए और कितनों ने आंखें गवाईं, इसका कोई पूरा आंकड़ा नहीं है। सरकार के मुताबिक 3787 लोगों ने गैस रिसाव से जान गंवाई और करीब पौने 6 लाख लोग अपंग हुए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट में बताया गया कि भोपाल गैस हादसे में 15 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

rajiv gandhi

अब आपको बताते हैं कि इस मामले में यानी हजारों लोगों की जान लेने और लाखों को अपंग बनाने वाले भोपाल गैस हादसे के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन को किस तरह तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की सरकार ने बचाया। पहले जान लीजिए कि वॉरेन एंडरसन आखिर था कौन। एंडरसन यूनियन कार्बाइड का सीईओ था। उसे पहले से जानकारी थी कि फैक्ट्री में हादसा हो सकता है, लेकिन उसने जहरीली गैस वाले टैंक को ठीक कराने के लिए कोई कदम नहीं उठाया था। गैस रिसाव के बाद वो भोपाल पहुंचा। जहां तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह की सरकार थी। राज्य सरकार ने उसे 6 दिसंबर को गिरफ्तार भी किया, लेकिन 7 दिसंबर को सरकारी विमान से दिल्ली भेज दिया। एंडरसन दिल्ली से अमेरिका भाग गया और कभी लौटकर कानूनी प्रक्रिया का सामना नहीं किया। कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित किया और फरारी में ही 29 सितंबर 2014 को उसकी मौत अमेरिका में हो गई। एंडरसन जब मौत की गोद में गया, तो उसकी उम्र 93 साल थी। कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में लिखा भी है कि एंडरसन को केंद्र सरकार के कहने पर सरकारी विमान से दिल्ली भेजा गया था। यानी साफ है कि राजीव गांधी की सरकार ने इस हत्यारे को बचकर भागने का मौका दिया। कांग्रेस इश मामले में हमेशा चुप रही, क्योंकि उसकी कलई उतर गई थी।