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Chhattisgarh Liquor Scam : छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई, आबकारी विभाग के 22 अधिकारियों पर गिरी गाज, सस्पेंड

Chhattisgarh Liquor Scam : कांग्रेस सरकार में हुए इस घोटाले में आबकारी विभाग के 29 अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था जिनमें से 6 रिटायर हो चुके हैं और एक की मृत्यु हो चुकी है। केन्द्रीय जांच एजेंसी (ईडी) के मुताबिक यह घोटला 2161 करोड़ का था, मगर अब ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला है कि उससे कहीं ज्यादा 3200 करोड़ का घोटाला हुआ है।

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए आबकारी विभाग के आरोपी 29 अधिकारियों में से 22 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 6 अधिकारी पहले ही रिटायर हो चुके हैं, जबकि 1 की मौत हो चुकी है। बीजेपी सरकार बनने के बाद आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडल्ब्यू) इस मामले की जांच कर रही है। ईओडल्ब्यू ने विशेष अदालत में 29 अधिकारियों के खिलाफ 2300 पन्नों का चालान पेश किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इन अधिकारियों पर आरोप है कि साल 2019 से 2023 के बीच विभिन्न जिलों में पदस्थ रहते हुए इन्होंने लगभग 90 करोड़ रुपए की अवैध वसूली की।

केन्द्रीय जांच एजेंसी (ईडी) के मुताबिक यह घोटला 2161 करोड़ का था, मगर अब ईओडब्ल्यू की जांच में पता चला है कि उससे कहीं ज्यादा 3200 करोड़ का घोटाला हुआ है। जिन 22 अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है उनमें 5 उप आयुक्त, 5 सहायक और जिला आबकारी अधिकारी तथा 12 सहायक आयुक्त शामिल हैं। जांच के मुताबिक आरोपी  अधिकारियों ने लिकर सिंडिकेट चलाने वालों की खुलकर मदद की और इसके बदले में उनसे बहुत मोटी रिश्वत ली। इस प्रकार से इन अधिकारियों ने प्रदेश के राजस्व को बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया।

प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा इसी मामले में रायपुर की जेल में बंद हैं। उन पर आरोप है कि शराब माफियाओं से हर महीने 2 करोड़ रुपए बतौर प्रोटेक्शन मनी लेते थे। पूर्व सीएम भूपेश बघेल और उनके करीबियों के घर ईडी छापेमारी भी कर चुकी है। ईडी का आरोप है कि सिंडिकेट बनाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया। नेताओं, आबकारी विभाग के अफसरों और शराब कारोबारियों के द्वारा मिलकर यह घोटाला किया गया। सिंडिकेट ने कमीशन में मोटी रकम कमाने के लिए आबकारी नीति को ही बदलवा दिया।