नई दिल्ली। योग गुरु रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण को आज सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में इन दोनों के खिलाफ अपनी अवमानना के केस को बंद कर दिया है। जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने यह फैसला सुनाते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की हिदायत दी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद रामदेव और बालकृष्ण की तरफ से अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा भी प्रकाशित किया गया था, सुप्रीम कोर्ट ने इस माफीनामे को स्वीकार कर लिया है।
यह पूरा मामला कोरोना काल के समय शुरू हुआ जब रामदेव में उनकी कंपनी पतंजलि द्वारा बनाई गई कोरोनिल दवा का प्रचार करते हुए यह दावा किया था कि ये कोरोना के इलाज की सबसे कारगर दवा है। इसके साथ ही उन्होंने कोविड के दौरान होने वाली मौतों के लिए एलोपैथी दवाओं को जिम्मेदार ठहराया था। रामदेव ने कोरोनिल के प्रचार के लिए अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन भी दिए थे। इसके बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की तरफ से रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि के खिलाफ केस दर्ज कराया गया था।
केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को कई बार उनके भ्रामक दावों के लिए कड़ी फटकार लगाई थी। इस पर रामदेव ने कहा था कि वो माफी मांगने को तैयार हैं और उन्होंने अखबारों में छोटे साइज में माफीनामा छपवा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर फिर रामदेव को कड़ी फटकार लगाते हुए उनसे कहा कि माफीनामा उसी साइज में क्यों नहीं छपवाया जितना बड़ा पतंजलि का विज्ञापन छपवाया था और सुप्रीम कोर्ट ने उनको दोबारा बड़े आकार में माफीनामा छपवाने का आदेश दिया था। इसके बाद रामदेव ने बड़े साइज में माफीनामा छपवाया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एलोपैथी के डाक्टरों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया था।