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Bihar: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री का फैसला पलटा, टकराव को लेकर अटकलों का बाजार गरम

बिहार में सरकारी नियम के तहत जून के महीने में ही मंत्री अपने विभाग में ट्रांसफर और पोस्टिंग कर सकते हैं। इसके बाद ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सीएम से मंजूरी लेनी होती है। ऐसे में तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री के विभाग में जून के आखिर में जबरदस्त तरीके से ट्रांसफर हुए। 3 साल की सीमा का भी ध्यान नहीं रखा गया।

पटना। बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है? ये सवाल लगातार उठता रहा है और अब एक बार फिर उठा है। वजह बने हैं सीएम नीतीश कुमार। नीतीश कुमार ने ऐसा फैसला किया है, जो डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री आलोक मेहता के आदेश को पलटने वाला है। आलोक मेहता राजस्व और भूमि सुधार विभाग के मंत्री हैं। उन्होंने बीते दिनों अपने विभाग में 480 कर्मचारियों का ट्रांसफर किया था। नीतीश कुमार ने मेहता के विभाग के ये ट्रांसफर रद्द कर दिए। इसी वजह से बिहार में महागठबंधन के दो मुख्य दलों में रिश्ते सामान्य न होने और टकराव की अटकलें एक बार फिर लग रही हैं।

alok mehta and nitish kumar
तेजस्वी के करीबी आलोक मेहता और सीएम नीतीश कुमार की फाइल फोटो।

आलोक मेहता ने जिन 480 अफसरों का ट्रांसफर किया था, उनमें 395 अंचल अधिकारी थे। इनके अलावा 30 अफसरों को तेजस्वी के करीबी मंत्री ने उनके मूल कैडर में वापस भेजने का भी आदेश दिया था। सीएम नीतीश कुमार ने मंत्री आलोक मेहता के ये आदेश रद्द करने का फैसला किया। जून के महीने के आखिर में ट्रांसफर के लिए लगातार आदेश जारी हुए थे। तभी ये बात हो रही थी कि आलोक मेहता के विभाग में नियम को दरकिनार कर 480 अफसरों का ट्रांसफर किया जा रहा है। ये बात सीएम नीतीश कुमार तक भी पहुंची थी।

nitish kumar bihar cm

बिहार में सरकारी नियम के तहत जून के महीने में ही मंत्री अपने विभाग में ट्रांसफर और पोस्टिंग कर सकते हैं। इसके बाद ट्रांसफर और पोस्टिंग के लिए सीएम से मंजूरी लेनी होती है। ऐसे में तेजस्वी यादव के करीबी मंत्री के विभाग में जून के आखिर में जबरदस्त तरीके से ट्रांसफर हुए। नियम ये भी है कि किसी भी अफसर को 3 साल के लिए पोस्टिंग दी जाएगी। विशेष परिस्थिति में ही ये नियम तोड़ा जा सकता है। वहीं, जानकारी ये है कि इस नियम का पालन भी नीतीश के मंत्री आलोक मेहता ने ट्रांसफर करते वक्त नहीं किया। अब सबकी नजर इस पर है कि नीतीश के इस फैसले के बाद आरजेडी की तरफ से कुछ कहा जाता है या फिलहाल मामले पर चुप्पी बरती जाती है।