पटना। जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर उर्फ पीके नई मुसीबत में फंस गए हैं। प्रशांत किशोर को बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन यानी बीपीएससी ने कानूनी नोटिस भेजा है। प्रशांत किशोर ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा इसलिए रद्द नहीं की जा रही, क्योंकि सीटों को पहले ही बेच दिया गया है। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया था कि बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में 30 लाख से 1.5 करोड़ में सीटों का सौदा किया गया। इस पर बीपीएससी ने प्रशांत किशोर को भेजे कानूनी नोटिस में कहा है कि अपने आरोपों के बारे में 7 दिन में सबूत दें। वरना उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
बीपीएससी ने प्रशांत किशोर को भेजे कानूनी नोटिस में ये भी कहा है कि अगर सबूत पेश न किए, तो माना जाएगा कि जन सुराज पार्टी के संस्थापक ने उसकी छवि खराब करने के लिए आपराधिक साजिश रची। पिछले दिनों बीपीएससी परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों ने गोलमाल का आरोप लगाकर परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। छात्रों के आंदोलन में प्रशांत किशोर भी शामिल हुए थे और उन्होंने पटना के गांधी मैदान में धरना दिया था। जहां से पुलिस ने प्रशांत किशोर को गिरफ्तार किया था। अब अगर प्रशांत किशोर 7 दिन में सीट बेचे जाने संबंधी सबूत न दे सके, तो बीपीएससी एक तरफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा। वहीं, इससे प्रशांत किशोर को भी तमाम सवालों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रशांत किशोर अमेरिका में नौकरी करते थे। फिर उन्होंने भारत आकर 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चुनाव की बागडोर संभाली। इसके बाद बिहार में नीतीश कुमार की जेडीयू में उपाध्यक्ष बने। नीतीश का साथ छोड़कर प्रशांत किशोर पंजाब की कांग्रेस सरकार में सलाहकार भी रहे। इसके अलावा उन्होंने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए भी काम किया। फिर प्रशांत किशोर ने बिहार में लंबी पदयात्रा की। जिसके बाद उन्होंने पिछले साल जन सुराज पार्टी बनाने का एलान किया। प्रशांत किशोर ये कहकर भी चर्चा में आए थे कि अगर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की सरकार बनी, तो कैबिनेट के पहले फैसले में शराबबंदी को खत्म कर देंगे।