
पटना। पहले तमिलनाडु और अब बिहार। एक बार फिर वक्फ बोर्ड के कदम से विवाद खड़ा हुआ है। पहले तमिलनाडु में एक पूरे गांव को वहां के वक्फ बोर्ड ने अपनी संपत्ति बताया था। अब बिहार में भी ऐसा ही हुआ है। बिहार वक्फ बोर्ड ने पटना से लगे फतुहा के गोविंदपुर गांव को अपनी संपत्ति बताते हुए बोर्ड लगाए हैं कि यहां संपत्ति की खरीद और बिक्री गैरकानूनी है। मीडिया की खबरों के मुताबिक बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से गोविंदपुर गांव के लोगों को लगातार नोटिस दिया जा रहा है। इन लोगों का घर गांव में है। गोविंदपुर गांव में 95 फीसदी हिंदू आबादी है। बावजूद इसके बिहार में वक्फ बोर्ड ने इस पूरे गांव को अपना बता दिया है।

बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से गोविंदपुर गांव के लोगों को भेजे नोटिस में कहा गया है कि वे अपनी जमीन और घर 30 दिन में खाली कर दें। गांव के पीड़ित अफसरों के पास भी गए, लेकिन उनको राहत नहीं मिली। गांव के लोगों ने अपनी जमीन को वक्फ का बताए जाने के बाद पटना हाईकोर्ट में केस किया। वहां बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड एक भी सबूत नहीं दे सका कि गांव की जमीन उसकी कैसे हो गई। इस पर पटना हाईकोर्ट ने गांव के लोगों को फिलहाल राहत दी है। गांव के लोगों का दावा है कि गोविंदपुर में उनकी पुश्तैनी जमीन है। उनका कहना है कि 1908 के सर्वे में भी उनके परिवार यहां दिखाए गए। अब वक्फ बोर्ड से नोटिस आ रहा है कि 30 दिन में गांव खाली कर दो।

वक्फ बोर्ड के पास असीमित अधिकार होते हैं। वक्फ बोर्ड किसी की भी संपत्ति को अपना बताकर उस पर कब्जा कर सकता है। रेलवे और सेना के बाद देश में सबसे ज्यादा संपत्ति वक्फ बोर्डों के पास ही है। वक्फ बोर्डों के पास ये संपत्ति करीब 9 लाख करोड़ हेक्टेयर है। यानी पाकिस्तान से भी ज्यादा जमीन देश के 30 वक्फ बोर्डों के पास है। मोदी सरकार ने वक्फ बोर्डों पर लगने वाले आरोपों को खत्म करने के लिए बीते दिनों संसद में वक्फ संशोधन एक्ट बिल भी पेश किया था, लेकिन इसे जेपीसी के पास भेजा गया है। संसद के अगले सत्र में इस बिल पर अब चर्चा होगी।