नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की शुरुआत मार्च से होनी है। लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र में मोदी सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने कमर कसी हुई है। इस बार उसका साबका एकजुट विपक्ष के इंडिया गठबंधन से पड़ना है। ऐसे में बीजेपी हर राज्य के लिए अलग-अलग रणनीति बना रही है। ऐसी ही रणनीति बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के लिए भी बनाई है। पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं और इनमें से इस बार 35 पर जीत का लक्ष्य बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और मोदी सरकार में गृहमंत्री अमित शाह ने तय किया है। इन 35 सीटों को जीतकर बीजेपी इस बार बंगाल की सत्ता पर तीसरी बार काबिज हुईं ममता बनर्जी की टीएमसी को जोर का झटका देना चाहती है।
बीजेपी ने इस बार बंगाल में वो कदम उठाया है, जैसा किसी भी पार्टी ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए किसी भी राज्य में कभी नहीं उठाया। बीजेपी ने इस बार बंगाल की सभी 42 लोकसभा सीटों के लिए प्रभारी तय किए हैं। पहले राज्य का एक प्रभारी बनाया जाता था और वो ही सभी लोकसभा सीटों पर नजर रखता था। इस बार अलग-अलग सीटों पर अलग-अलग प्रभारी बनाकर बीजेपी ने उनपर सीटों की जीत की जिम्मेदारी दे दी है। अलग-अलग सीटों पर प्रभारी नियुक्त होने से वे अपने निर्वाचन क्षेत्र पर भी ज्यादा ध्यान दे सकेंगे और इससे बीजेपी के लिए जीत हासिल करने का काम दुश्वारियों भरा नहीं रहेगा। इस रणनीति से अगर बीजेपी ने बंगाल में 35 लोकसभा सीटें भी जीत लीं, तो इसे चुनावी रणनीति में नया इतिहास माना जाएगा।
बंगाल में बीजेपी ने खूब मगजमारी करने के बाद भी ममता बनर्जी की सत्ता को चुनौती देने में नाकामी हासिल की थी। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बंगाल में 18 सीटों पर जीत मिली थी। उससे बीजेपी थोड़ा उत्साहित हुई और उसने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने के लिए सारे घोड़े खोल दिए, लेकिन तब भी टीएमसी को वो झटका नहीं दे सकी और ममता बनर्जी ने एक बार फिर सत्ता हथिया ली। इस बार ममता बनर्जी ने एलान किया है कि उनकी टीएमसी बंगाल में किसी भी पार्टी से सीटों का बंटवारा नहीं करेगी। वहीं, कांग्रेस और ममता की धुर विरोधी सीपीएम के बीच पहले से ही गठजोड़ है। विपक्ष के बीच एकता न होने का फायदा भी बीजेपी को मिल सकता है। इसमें हर सीट पर प्रभारी की रणनीति कारगर भी हो सकती है।