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No Relief For Minor Accused In Pune Porsche Case : पुणे पोर्श कार दुर्घटना के नाबालिग आरोपी को रिहा करने से बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने किया इनकार

No Relief For Minor Accused In Pune Porsche Case : हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी की चाची की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह रिमांड होम में है, इसलिए उसे अंतरिम राहत देते हुए रिहा करने की जरूरत नहीं है। नाबालिग की चाची ने नाबालिग किशोर को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाते हुए उसकी रिहाई की मांग वाली याचिका दायर की थी।

नई दिल्ली। पुणे पोर्श कार एक्सीडेंट मामले में नाबालिग आरोपी को राहत देने से बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने नाबालिग आरोपी की चाची की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह रिमांड होम में है इसलिए उसे अंतरिम राहत देते हुए रिहा करने की जरूरत नहीं है। नाबालिग की चाची ने नाबालिग किशोर को अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप लगाते हुए उसकी रिहाई की मांग वाली याचिका दायर की थी। वहीं, इस मामले पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद डब्ल्यूसीडी ने विभाग द्वारा नियुक्त दो जेजेबी सदस्यों को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति भारती डांगरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने आरोपी नाबालिग की चाची द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के बाद अपना आदेश दिया। महिला की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि यह एक दुर्घटना थी और जो वाहन चला रहा था वो नाबालिग है इसलिए उसे तत्काल रिहा किया जाना चाहिए। आपको बता दें कि यह घटना 19 मई की है जब नाबालिग किशोर शराब के नशे में धुत होकर अपनी पोर्श कार को बहुत तेज गति से भगा रहा था तभी उसने एक बाइक में टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि बाइक सवार युवक और युवती की मौके पर ही मौत हो गई।

इसके बाद नाबालिग को हिरासत में लेकर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया जहां से कुछ घंटों बाद नाबालिग को जमानत मिल गई। कोर्ट ने नाबालिग को 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव और समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का आदेश दिया। कोर्ट के इस बेतुके फैसले के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया। जिसके बाद नाबालिग के पिता, दादा और मां समेत कई लोगों को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।