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Budget Presentation Record Of Nirmala Sitharaman: जुलाई में रिकॉर्ड बनाएंगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, इस दिग्गज नेता को छोड़ेंगी पीछे

Budget Presentation Record Of Nirmala Sitharaman: निर्मला सीतारमण को बजट बनाने में वित्त मंत्रालय की बड़ी टीम मदद करती है। इस टीम में वित्त सचिव, राजस्व सचिव, खर्चे देखने वाले सचिव के अलावा और भी अधिकारी होते हैं। बजट की छपाई वित्त मंत्रालय के ही प्रेस में होती है। बजट पेश करने तक इसे गुप्त रखा जाता है।

नई दिल्ली। निर्मला सीतारमण को पीएम नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर वित्त मंत्रालय का प्रभार सौंपा है। वित्त मंत्रालय का प्रभार मिलते ही निर्मला सीतारमण मोदी सरकार का पूर्ण बजट पेश करने की तैयारी में जुटी हैं। निर्मला सीतारमण जुलाई में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करने वाली हैं। इससे पहले लोकसभा चुनाव के कारण सीतारमण ने फरवरी में अंतरिम बजट पेश किया था। इस बार जुलाई में पूर्णकालिक बजट पेश करते ही निर्मला सीतारमण एक नया रिकॉर्ड बनाकर दिग्गज नेता रहे पूर्व पीएम मोरारजी देसाई को पीछे छोड़ देंगी।

मोरारजी देसाई के नाम लगातार 6 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड है। उन्होंने कुल 10 बार बजट पेश किया था।

दरअसल, मोरारजी देसाई ने 6 बार लगातार बजट पेश किया था। कुल मिलाकर मोरारजी देसाई ने 10 बजट पेश किए। निर्मला सीतारमण ने पिछले साल छठी बार बजट पेश कर मोरारजी के लगातार 6 बार बजट पेश करने के रिकॉर्ड की बराबरी की थी। अब वो 7वीं बार बजट पेश कर मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड को ध्वस्त करने वाली हैं। अगर अन्य वित्त मंत्रियों के दौर में पेश किए जाने वाले बजट की बात करें, तो पी. चिदंबरम ने अब तक 9 बजट पेश किए हैं। हालांकि, वो लगातार ऐसा नहीं कर सके। प्रणब मुखर्जी ने भी 9 बजट दिए। यशवंत राव चव्हाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा ने भी 7 बजट अलग-अलग साल पेश किए। जबकि, मनमोहन सिंह और टीटी कृष्णमाचारी ने 6-6 बजट पेश किए।

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निर्मला सीतारमण को बजट बनाने में वित्त मंत्रालय की बड़ी टीम मदद करती है। इस टीम में वित्त सचिव, राजस्व सचिव, खर्चे देखने वाले सचिव के अलावा और भी अधिकारी होते हैं। बजट की छपाई वित्त मंत्रालय के ही प्रेस में होती है। बजट पेश करने तक इसे गुप्त रखा जाता है। पेश करने से पहले अगर बजट लीक हो जाए, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। बजट को लोकसभा से पास कराना जरूरी होता है। लोकसभा से पास हुए बजट पर चर्चा के बाद इसे राज्यसभा में भी चर्चा के बाद मंजूरी दी जाती है। हर साल 1 अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष शुरू होने पर बजट के प्रावधान लागू होते हैं।