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Karnataka New Cars For Ministers: खजाने पर बोझ और राज्य के बड़े हिस्से में पड़ा है सूखा, फिर भी कर्नाटक की कांग्रेस सरकार मंत्रियों के लिए खरीद रही 33 नई गाड़ियां!

इनोवा गाड़ियों की खरीद के लिए सिद्धारामैया सरकार सीधे टोयटा किर्लोस्कर कंपनी को आर्डर जारी कर रही है। साल 1999 में नई सरकारी खरीद के नियम के 4जी बिंदु के तहत सिद्धारामैया सरकार ने मंत्रियों के लिए नई गाड़ियों की खरीद की मंजूरी दी है। इस फैसले से कर्नाटक में सियासत गरमाने के आसार हैं।

बेंगलुरु। एक तरफ 5 गारंटियों को पूरा करने के लिए पैसा चाहिए। वहीं, कम बारिश से 246 तालुका के 75 फीसदी हिस्से सूखे की चपेट में है। खजाने पर काफी बोझ है। इनके बावजूद भी कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारामैया सरकार ने अपने मंत्रियों के लिए नई गाड़ियों की खरीद को मंजूरी दे दी है। अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक सभी 33 मंत्रियों के लिए सिद्धारामैया सरकार ने हाई एंड हाइब्रिड कारें खरीदने की मंजूरी दी है। इससे पहले सिद्धारामैया के लिए फॉर्च्यूनर कार खरीदी गई थी। कर्नाटक की कांग्रेस  सरकार के ताजा फैसले से पता चल रहा है कि उसका फोकस जनकल्याण पर नहीं, अपने मंत्रियों की शान-ओ-शौकत पर ज्यादा है।

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अखबार के मुताबिक 33 मंत्रियों के लिए नई गाड़ी खरीदने के वास्ते 9.9 करोड़ रुपए सिद्धारामैया सरकार खर्च करेगी। यानी हर मंत्री के लिए 30 लाख की नई गाड़ी आएगी। बीती 17 अगस्त को नई गाड़ियों की खरीद के लिए आदेश जारी किया गया है। इन इनोवा गाड़ियों की खरीद के लिए सिद्धारामैया सरकार सीधे टोयटा किर्लोस्कर कंपनी को आर्डर जारी कर रही है। साल 1999 में नई सरकारी खरीद के नियम के 4जी बिंदु के तहत सिद्धारामैया सरकार ने मंत्रियों के लिए नई गाड़ियों की खरीद की मंजूरी दी है। इस बिंदु का इस्तेमाल इसलिए किया गया है, क्योंकि राज्य में ज्यादातर हिस्सों में सूखा पड़ा है।

Karnataka

अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि सिद्धारामैया के मंत्रियों के लिए नई गाड़ी खरीदने का फैसला इस आधार पर किया गया कि पुरानी गाड़ी या तो 1 लाख किलोमीटर चल चुकी हो या 3 साल से उसका इस्तेमाल किया जा रहा हो। इससे पहले बीएस येदियुरप्पा की सरकार के दौरान साल 2020 में कर्नाटक सरकार ने आखिरी बार गाड़ी खरीदी थी। खास बात ये है कि मंत्रियों ने खुद को मिली गाड़ियां बदलने की मांग तो की थी, लेकिन उन्होंने नई गाड़ी देने के लिए नहीं कहा था। फिर भी सरकार ने नई गाड़ियां खरीदने को प्राथमिकता दी है।