लखनऊ। लघु एवं मध्यम स्तर के उद्यमों, इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के स्टार्टअप्स तथा मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों को उन्नत तकनीकी सहायता का लाभ प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश इलेक्ट्राॅनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग नीति के अन्तर्गत नोएडा में उत्कृष्टता केन्द्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) की स्थापना त्वरित गति से की जा रही है। इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नोएडा में लिथियम-आयन सेल आधारित उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए 659.66 लाख रुपये की पहली किस्त अवमुक्त कर दी है। बता दें कि इस मौके पर अपर मुख्य सचिव, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग, आलोक कुमार ने बताया कि उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना के प्रथम चरण को प्रारम्भ करने के लिए राज्य सरकार ने पहले ही 219.90 लाख रुपये के अपने अंशदान के लिए सहमति प्रदान कर दी है। इंडियन सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) के सहयोग से सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सी-डैक), नोएडा द्वारा कार्यान्वित किए जाने वाली उत्कृष्टता केन्द्र परियोजना की अनुमानित लागत 1675.89 लाख रुपये है, जिसमें से रु. 854.90 लाख इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार का योगदान होगा, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार और आईसीईए द्वारा क्रमशः रु. 284.99 लाख तथा रु. 536 लाख का योगदान किया जाएगा।
इसको लेकर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के कुशल मार्गदर्शन में राज्य सरकार के सक्रिय दृष्टिकोण तथा केन्द्र सरकार की समयबद्ध कार्यवाही के फलस्वरूप नोएडा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस परियोजना के क्रियान्वयन में निर्धारित समयसीमा के भीतर अच्छी प्रगति हो रही है। आलोक कुमार ने बताया कि परियोजना कार्यान्वयन की अवधि 30 दिसंबर, 2020 से 36 महीनों के लिए निर्धारित की गई है तथा उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना का कार्य दिसंबर 2023 के अंतिम सप्ताह तक पूर्ण होने की संभावना है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए अपर मुख्य सचिव ने कहा कि इसका उद्देश्य पावर बैंक उद्योग, मोबाइल हैंडसेट के पुर्जे और इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लीकेशन्स से संबंधित उत्पादों को डिजाइन और उनका विकास करना है। उत्कृष्टता केन्द्र प्रौद्योगिकी और उत्पाद परीक्षण सुविधा के हस्तांतरण के लिए उद्योगों से सम्पर्क के साथ ही स्वावलम्बी व्यापारिक मॉडल पर विकसित किया जाएगा। इस केन्द्र में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा उपयोग करने योग्य पूर्ण रूप से क्रियाशील परीक्षण प्रयोगशाला के साथ परीक्षण और अन्य सम्बंधित आवश्यकताओं के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा।
उत्कृष्टता केन्द्र पूरी तरह परिचालित टूल रूम और कंपोनेंट लाइब्रेरी से सुसज्जित होगा। स्थापना के बाद प्रथम वर्ष में लिथियम-आयन सेल पर आधारित पांच उत्पाद- चार्जर, पावर बैंक और वायरलेस पावर बैंक, एलईडी और स्पीकर विकसित किए जाएंगे। दूसरे वर्ष में चार उत्पादों को विकसित करने की योजना है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों, सौर संयंत्रों और सौर प्रणाली बैटरी पैक के लिए बैटरी माॅनिटरिंग प्रणाली सम्मिलित है, जबकि तीसरे वर्ष के दौरान जीपीएस नेविगेशन प्रणाली, यूपीएस प्रणाली, साउंटीमीटर और टिकट वेंडिंग मशीनों को विकसित करने का प्रस्ताव है।
उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को सेवाएं प्रदान करने के अतिरिक्त सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और विकास के क्षेत्र में कौशल विकास के लिए भी कार्य करेगा। यह देश और वैश्विक आवश्यकतओं के लिए मानकीकरण और परीक्षण में भी सहायता प्रदान करेगा।
लिथियम आयन बैटरी एक रिचार्जेबल बैटरी होती है, जिसमें लिथियम आयनों को इलेक्ट्रोलाइट के प्राथमिक घटक के रूप में उपयोग किया जाता है।