नई दिल्ली। भारत ने अमेरिका से एक और बड़ा रक्षा सौदा किया है। अमेरिका से भारत 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा। इनके ओवरहॉल, रिपेयर और मेंटेनेंस के लिए भारत में ही व्यवस्था बनाई जाएगी। प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका को भारत से 32000 करोड़ रुपए मिलेंगे। कुल 31 प्रीडेटर ड्रोन में से 15 भारतीय नौसेना को दिए जाएंगे। बाकी 16 ड्रोन में से 8-8 भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना को मिलेंगे। इससे चीन और पाकिस्तान के लिए नई मुश्किल खड़ी होगी।
प्रीडेटर ड्रोन को अमेरिका की कंपनी जनरल एटोमिक्स बनाती है। इन ड्रोन के जरिए लंबे समय और काफी ऊंचाई से दुश्मन पर नजर रखी जा सकेगी। साथ ही इनमें हेलफायर मिसाइलें लगाकर दुश्मन पर हमला भी किया जा सकेगा। भारत और अमेरिका की सरकारों के बीच प्रीडेटर ड्रोन का सौदा हुआ है। ऐसे में कोई बिचौलिया नहीं होगा और भ्रष्टाचार भी नहीं हो सकेगा। प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के सौदे पर दस्तखत के लिए अमेरिका से सेना और कंपनी के अफसरों का दल भारत आया।
रक्षा मामलों की सरकारी समिति ने कुछ हफ्ते पहले ही अमेरिका से प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के सौदे को हरी झंडी दिखाई थी। भारत और अमेरिका के बीच प्रीडेटर ड्रोन खरीद की कीमत के मसले पर काफी वक्त से चर्चा चल रही थी। माना जा रहा है कि बीते दिनों जब पीएम नरेंद्र मोदी क्वॉड सम्मेलन के लिए अमेरिका गए थे, उस वक्त वहां के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ बातचीत में प्रीडेटर ड्रोन की खरीद पर अंतिम फैसला लिया गया। बताया जा रहा है कि अमेरिका से मिलने वाले प्रीडेटर ड्रोन को चेन्नई, पोरबंदर, सरसावा और गोरखपुर में तैनात किया जाएगा। इससे चीन और पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय नौसेना, भारतीय सेना और वायुसेना को काफी मजबूती मिलेगी। बता दें कि प्रीडेटर ड्रोन में लगी हेलफायर मिसाइल से ही अमेरिका ने अल-कायदा के नेता अयमान अल-जवाहिरी और ईरान के सेना कमांडर कासिम सुलेमानी को मारा था। इस तरह के बिना हथियार वाले कुछ ड्रोन को भारत पहले ही पट्टे पर लेकर नौसेना के लिए निगरानी के काम में इस्तेमाल कर रहा है।