Anand Mohan: आनंद मोहन की रिहाई पर मंडरा रहे संकट के बादल, अब SC कोर्ट ने भेजा बिहार सरकार को नोटिस

Anand Mohan: कुछ लोगों ने इस फैसले को नीतीश सरकार का चुनावी स्टंट बताया था। दरअसल, बताया जा रहा था कि सीएम नीतीश ने चुनाव से ठीक पहले राजपूतों वोट बैंक को साधने के लिए आनंद मोहन की रिहाई का फैसला किया है, जिसकी आलोचना की जानी चाहिए। उधर, नीतीश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर बीजेपी ने भी बिहार सरकार की निंदा की थी।

सचिन कुमार Written by: May 8, 2023 3:03 pm
ANAND MOHAN

नई दिल्ली। आनंद मोहन की रिहाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। दिवंगत आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर आज कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले में बिहार सरकार को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। अब सरकार की ओर से मामले में क्या जवाब कोर्ट में दाखिल किया जाता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि पूरे मामले पर जेडीयू की प्रतिक्रिया सामने आई है। जेडीयू नेता ललन सिंह ने मामले में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जिनको जवाब देना है, वो इस मामले में जल्द ही कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। सनद रहे कि गत दिनों सीएम नीतीश कुमार ने आनंद मोहन की रिहाई पर उठ रहे सवालों को लेकर बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि मुझे यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर इस रिहाई पर सवाल क्यों उठाया जा रहा है। यह रिहाई कारा नियमों के अनरूप ही हुई है। इससे पहले भी कई लोगों की समय पूर्व रिहाई नियमों के अनरूप हो चुकी है।

वहीं, आज कोर्ट ने जी कृष्णैया की पत्नी की याचिका पर सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दिया है। अब अगली सुनवाई में कोर्ट का क्या फैसला आता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ कर रही है। अब इस मामले में आईएएस एसोसिएशन ने भी दखल देते हुए कहा कि हम इस फैसले से पूरी तरह व्यथित हैं। जिस पर कोर्ट ने कहा कि हमने इस मामले में राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। अगर आप भी इस मामले में दखल देना चाहते हैं, तो आपको पूरी आजादी है।

anand mohan

सनद रहे कि गत दिनों बिहार की नीतीश सरकार ने कारा नियमों में संशोधन कर आनंद मोहन सहित 26 दुर्दांत अपराधियों की रिहाई का फैसला किया था, जिसके बाद बिहार की राजनीति में बवाल मच गया था। कुछ लोगों ने इस फैसले को नीतीश सरकार का चुनावी स्टंट बताया था। दरअसल, बताया जा रहा है कि सीएम नीतीश ने चुनाव से ठीक पहले राजपूतों वोट बैंक को साधने के लिए आनंद मोहन की रिहाई का फैसला किया है, जिसकी आलोचना की जानी चाहिए। उधर, नीतीश सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर बीजेपी ने भी बिहार सरकार की निंदा की थी।

nitish kumar with don anand mohan

बता दें कि 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णा की मुजफ्फरपुर में आक्रोशित भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। उस समय छोटन शुक्ला नाम के शख्स की हत्या कर दी गई थी, जिससे उसके समर्थक जिला प्रशासन से खासा नाराज थे। इसी बीच जैसे ही जी कृष्णैया की गाड़ी गुजरी, तो लोगों को लगा कि वह मुफ्फरपुर जिले के डीएम हैं, इसलिए आक्रोशित भीड़ ने उनकी पीट-पीट कर हत्या ही कर दी। हालांकि, इस बीच जी कृष्णैया चीख-चीख यह कहते रहे कि मैं गोपालंगज का डीएम हूं, मुजफ्फरपुर का नहीं, लेकिन आक्रोशित भीड़ ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें मौत के घाट उतार दिया। वहीं, अब सवाल है कि आखिर इस पूरे प्रकरण में आनंद मोहन की भूमिका कहां है ? दरअसल, आनंद मोहन पर ही आरोप है कि उन्होंने ही इस आक्रोशित भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद जी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी।

anand mohan singh

इस मामले में तब पुलिस ने आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली मोहन सहित 6 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मामले की सुनवाई हुई तो अन्य लोगों को छोड़ दिया गया था, लेकिन आनंद 2007 में फांसी की सजा सुना दी गई। जिसके फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, तो फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने भी इस फैसले को सही बताया। लेकिन, इस बीच नीतीश सरकार ने जिस तरह से कारा नियमों में बदलाव कर आनंद मोहन की रिहाई का मार्ग प्रशस्त किया है, उसे लेकर बिहार की राजनीति का पारा गरमा गया है।