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Bihar Reservation Bill: बिहार विधानसभा में आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पास, कल तक के लिए सत्र स्थगित

Bihar Reservation Bill LIVE: सीएम नीतीश ने आरक्षण की सीमा को 50 फीसद से बढ़ाकर 75 फीसद किए जाने का ऐलान किया था, जिसमें 15 फीसद पिछड़ों के लिए, तो शेष 10 फीसद आर्थिक रूप से पिछड़े स्वर्णों के लिए आरक्षित की गई है। वहीं, आज इस संदर्भ में विधानसभा में विधेयक पेश किया जाएगा।

नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा सियासी दांव चल दिया है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर यह दांव सफल हो पाएगा नहीं ? आपको बता दें कि बीते मंगलवार को विधानसभा की शीतकालीन सत्र के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने के संदर्भ में प्रस्ताव पेश किया था, जिसे बाद कैबिनेट द्वारा मंजूरी भी दे दी गई। सीएम नीतीश ने आरक्षण की सीमा को 50 फीसद से बढ़ाकर 75 फीसद किए जाने का ऐलान किया था, जिसमें 15 फीसद पिछड़ों के लिए, तो शेष 10 फीसद आर्थिक रूप से पिछड़े स्वर्णों के लिए आरक्षित की गई है। वहीं, आज इस संदर्भ में विधानसभा में विधेयक पेश किया जाएगा।

LIVE UPDATE:-

बिहार विधानसभा में गुरुवार को आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पास हो गया। जिसे आगामी लोकसभा चुनाव से पूर्व सीएम नीतीश के बड़े सियासी दांव के रूप में रेखांकित किया जा रहा है।

थोड़ी देर में पेश होगा आरक्षण

बिहार के सीएम नीतीश कुमार थोड़ी देर में विधानसभा में आरक्षण बिल पेश करेंगे। बीते मंगलवार को इस पर नीतीश कैबिनेट ने मुहर लगाई थी।

सच होगा बीपी मंडल का सपना

इसके अलावा बिराव में यादव खेमों का मानना है कि नीतीश सरकार के इस पहल से बीपी मंडल का सपना साकार होगा। वहीं, बिहार सरकार के इस कदम से सीमांचल और कोसी में रहने वाले लोगों को भी नई उम्मीदें मिली हैं।

कैसा है बीजेपी का रुख?

उधर, अगर नीतीश सरकार के इस कदम को लेकर बीजेपी के रूख की बात करें, तो बीजेपी ने स्पष्ट कर दिया है कि नीतीश सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। बीजेपी नेता नंदर किशोर यादव ने यह कहने से कोई गुरेज नहीं किया है कि नीतीश सरकार द्वारा किया गया यह निसंदेह सराहनीय है, जिसका हम स्वागत करते हैं।

आ सकती है कानूनी बाधा भी

ध्यान दें, सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि आरक्षण की सीमा 50 फीसद से ज्यादा नहीं की जा सकती है। सिर्फ तमिलनाडु ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां आरक्षण की सीमा 69 फीसद है, लेकिन अब जब नीतीश कुमार ने आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 फीसद किए जाने का ऐलान कर दिया है, तो बहुत मुमकिन है कि आगामी दिनों में केंद्र की मोदी सरकार के लिए भी नीतीश के इस कदम का समर्थन करना कानूनी मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।