
नई दिल्ली। तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और वहां के राज्यपाल आरएन रवि के बीच सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। तमिलनाडु की सियासत में हर दिन कुछ ना कुछ नया देखने को मिल रहा है इसलिए तमिलनाडु में मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और राज्यपाल आरएन रवि के बीच अभिभाषण को लेकर विवाद इतना गहरा गया कि गवर्नर ने सदन का ही बहिष्कार कर दिया और वॉकाउट कर दिया। उस वक्त माहौल काफी खराब हो गया, जब सीट से उठकर जाते हुए राज्यपाल के पीछे डीएमके के विधायक नारेबाजी करने लगे और उनकी हूटिंग करते रहे। दरअसल विवाद इस बात को लेकर हुआ कि एमके स्टालिन चाहते थे कि अभिभाषण की केवल उन बातों को रिकॉर्ड में रखा जाए जो कि उनकी तरफ से दी गई थीं। इसके अलावा राज्यपाल ने जो बाती जोड़ी थीं, उनको रिकॉर्ड से बाहर रखा जाए। मुख्यमंत्री ने स्पीकर के सामने इसका प्रस्ताव रखा था। राज्यपाल इस बात से इतना नाराज हुए कि वह बीच में ही सदन से चले गए। उनके जाने के बाद राष्ट्रगान बजाया गया।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री स्टालिन के इस स्पीच को राज्य सरकार ने तैयार किया था और स्पीकर ने इसका अनुवाद किया था। सरकार की तरफ से लिखे गए भाषण में सेक्युलरिजम, तमिलनाडु को शांति का घर बताया जाना, पेरियार, बीआर आंबेडकर, के कामराज, सीएन अन्नादुरई, करुणआनिथि जैसे नेताओं केबारे में बातें शामिल की गई थीं। राज्यपाल ने इन बातों को छोड़ दिया। उन्होंने डीएमके द्वारा प्रमोट किए जाने वाले द्रविड़ियन मॉडल के बारे में भी बात नहीं की।
गौरतलब है कि राज्यपाल जब भाषण दे रहे थे तब सदन में मौजूद डीएमके विधायक हंगामा करने लगे और उन्हें हूट करने लगे। जिसके बाद वह भाषण रोककर सदन से बाहर चले गए। वहीं मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रस्ताव में कहा कि राज्यपाल ने जो किया है वह सदन की परंपरा के खिलाफ है। वहीं डीएमके के साथियों कांग्रेस, वीसीके, सीपीआई और सीपीआई (एम) ने पहले ही राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर दिया था। वे पहले ही राज्यपाल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ इनका आरोप है कि विश्वविद्यालयों के कुलपति नियुक्ति को लेकर राज्यपाल के अधिकार में कटौती, और ऑनलाइन जुए पर रोक के लिए लाए गए विधेयकों को वह मंजूरी नहीं दे रहे हैं। उनका कहना है कि सदन से पास होने के बाद 21 बिल ऐसे हैं जिन्हें राज्यपाल मंजूरी नहीं दे रहे हैं। राज्यपाल रवि के खिलाफ सदन में ‘क्विट तमिलनाडु’ की जमकर नारेबाजी की।