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Uttar Pradesh: सीएम योगी ने की घोषणा, पूरे प्रदेश में लागू होगी अटल भूजल योजना

Uttar Pradesh: वर्चुअली सम्पन्न इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 के आधार पर भूगर्भ जल विभाग द्वारा विकसित वेब पोर्टल http://upgwdonline.in/ का औपचारिक लोकार्पण भी किया। सीएम ने कहा कि यह पोर्टल प्रत्येक ब्लॉक में कूप पंजीयन, अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गमन, ड्रिलिंग एजेंसी के पंजीयन तथा विभिन्न विभागीय समस्याओं के निराकरण के लिए एकीकृत ऑनलाइन प्लेटफार्म है।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों से बूंद-बूंद पानी सहेजने की अपील की है। तालाब, पोखरे आदि को बचाने और वर्षा जल संचयन को अपनी आदत में शामिल करने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि भूगर्भ जल, बचत के उन रुपयों की तरह है, जो न केवल हमारा आत्मविश्वास बनाये रखते हैं, बल्कि गाढ़े समय में काम आते हैं। मुख्यमंत्री, रविवार को अपने सरकारी आवास पर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में तैयार 278 चेकडैम और तालाबों का लोकार्पण कर रहे थे। विशेष अवसर पर जल संरक्षण की मुहिम को नई दिशा देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में 10 जनपदों में लागू अटल भूजल योजना को शेष 65 जनपदों में भी लागू किया जाएगा।

Yogi ADITYANATH GROUND WATER

वर्चुअली संपन्न इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम 2019 के आधार पर भूगर्भ जल विभाग द्वारा विकसित वेब पोर्टल http://upgwdonline.in/ का औपचारिक लोकार्पण भी किया। सीएम ने कहा कि यह पोर्टल प्रत्येक ब्लॉक में कूप पंजीयन, अनापत्ति प्रमाण पत्र निर्गमन, ड्रिलिंग एजेंसी के पंजीयन तथा विभिन्न विभागीय समस्याओं के निराकरण के लिए एकीकृत ऑनलाइन प्लेटफार्म है। अब तक इन कार्यों के लिए केंद्रीय एजेंसी के पास जाना होता था, लेकिन अब घर बैठे ही आवेदन कर प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि घरेलू और कृषि कार्यों में कूप के प्रयोग पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगेगा। पोर्टल लोकार्पण के साथ ही सीएम ने विभिन्न जनपदों में इसका लाभ उठा चुके उद्यमियों से संवाद भी किया। उद्यमियों ने इस एकीकृत व्यवस्था को बहुप्रतीक्षित बताते हुए इसकी शुरुआत के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार भी जताया।

Yogi ADITYANATH GROUND WATER

लोकार्पण समारोह में सीएम योगी ने कहा कि 2017 में प्रदेश के लगभग 200 विकास खंड डार्क जोन घोषित थे। हमने इसकी जांच कराई तो पता चला 1994 में सर्वे हुआ था, उस आधार पर तय किया गया। फिर राज्य सरकार ने नया अधिनियम बनाया। सभी शासकीय भवनों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ने का निर्णय लिया। हर नदी-नाले के पानी को बचाने, वर्षा जल के संचयन, तालाबों के पुनरोद्धार का निर्णय लिया। मिशन रूप में हुए काम का नतीजा मिला कि दिनों-दिन स्थिति सुधार हो रहा है। क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल क्षेत्रों की तादात कम हो रही है। भूगर्भ जल स्तर बढ़ रहा है। शुद्ध पेयजल की महत्ता की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जेई व एईएस जैसी बीमारी पानी के प्रति हमारी उदासीनता को प्रदर्शित करती हैं। केवल साफ पानी उपलब्ध कराने भर से तमाम बीमारियों का खतरा समाप्त हो जाता है। मुख्यमंत्री ने प्रदूषित जल को भूमि के भीतर प्रवाहित करने की प्रवृत्ति को भविष्य के लिए नुकसानदायक बताते हुए भूगर्भ जल को स्वच्छ रखने की आवश्यकता बताई। रेन वाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मथुरा और फिरोजाबाद जैसे क्षेत्रों में जहां खारे पानी की समस्या है, वहां वर्षा जल संचयन खारे पानी को मीठे जल में बदलने का अच्छा माध्यम है। उन्होंने किसानों से ड्रिप इरिगेशन प्रणाली अपनाने के लिए भी प्रेरित किया।

Yogi ADITYANATH GROUND WATER
कार्यक्रम में सीएम योगी ने विभिन्न जनपदों में जल प्रबंधन के लिए प्रेरणादायी कार्य कर रही समितियों के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया। औरैया के शिवनाथ सिंह ने सीएम को बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में चेकडैम के निर्माण के बाद न केवल जलस्तर में सुधार हुआ है, बल्कि खेतों में सिचाईं के कार्य में भी फायदा हुआ है। इसी तरह मुरादाबाद के कुलदीप ने अपने क्षेत्र में नवनिर्मित तालाब की सुंदरता बयान करते हुए तालाब के माध्यम से हो रही मछली पालन की गतिविधियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। झांसी के नरेंद्र सिंह और साथियों के सहयोग से नल लगवाए जाने की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संचय सामूहिक जिम्मेदारी है। जनसहभागिता से ही यह कार्य सिद्ध हो सकता है। सीएम ने कहा कि जिन्होंने प्रकृति प्रदत्त इस अनुपम उपहार का मूल्य नहीं समझा, वह आये दिन अकाल, सूखा जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं। इस मायने में उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है कि यहां सतही जल और भूजल, दोनों ही पर्याप्त हैं।