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संजीवनी घोटाला मामले में कांग्रेस हमलावर, शेखावत ने कहा, ‘यह राजनीतिक साजिश’

शेखावत ने कहा, “अगर कोर्ट चाहती है तो वह एकबार फिर संजीवनी मामले की जांच करा सकती है या फिर एसओजी इसकी जांच करे। यह पता चल जाएगा कि इसके पीछे कौन है। यह कांग्रेस के अंदर लड़ाई को छुपाने के लिए है।”

नई दिल्ली। राजस्थान में राजनीतिक संकट ने नया मोड़ ले लिया है। जयपुर की एक अदालत ने केंद्रीय मंत्री गजेद्र सिंह शेखावत के खिलाफ 884 करोड़ रुपये के संजीवनी क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी घोटाला मामले में उनकी भूमिका की जांच के लिए स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(एसओजी) को आदेश दिए हैं। इसके बाद से केंद्रीय जल संसाधन मंत्री शेखावत पर कांग्रेस लगातार हमलावर बनी हुई है। अदालत के आदेश के बाद अपनी पहली टिप्पणी में उन्होंने आईएएनएस से कहा, “यह राजनीतिक साजिश है। उस मामले पर बोलना सही नहीं होगा, जो अभी कोर्ट में है।”

Gajendra Singh Shekhawat

शेखावत ने कहा, “अगर कोर्ट चाहती है तो वह एकबार फिर संजीवनी मामले की जांच करा सकती है या फिर एसओजी इसकी जांच करे। यह पता चल जाएगा कि इसके पीछे कौन है। यह कांग्रेस के अंदर लड़ाई को छुपाने के लिए है।”

राजस्थान में चल रहे मौजूदा राजनीतिक हालात पर उन्होंने कहा कि स्पीकर ने नोटिस दिया था, हाईकोर्ट ने स्टे दिया है। भाजपा ने भी कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था जिस तरह से खतरे में है, उस पर कोर्ट को संज्ञान लेना चाहिए और कोर्ट ने संज्ञान लिया। कांग्रेस ने इस नए घटनाक्रम पर शेखावत को घेरने की कोशिश की और केंद्रीय मंत्री को कैबिनेट से हटाने की मांग की।

Gajendra Singh

कांग्रेस ने इसे राज्य का सबसे बड़ा पोंजी स्कैम बताया। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा, “जबतक संजीवनी क्रेडिट को ऑपरेटिव सोसायटी मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती, केंद्रीय मंत्री शेखावत को खुद इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें उनके पद से हटा दें।”

खेड़ा ने आरोप लगाया है कि राजस्थान में ऑपरेशन कमल शेखावत के इशारे पर किया गया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कॉपरेटिव सोसायटी को 2008 में पंजीकृत किया गया था और यह गुजरात व राजस्थान में सक्रिय है, जिसमें 2.14 लाख निवशेकों ने 883.88 करोड़ रुपये सोसायटी के खाते में जून 2019 तक जमा कराए।

pawan khera

शेखावत का नाम इससे पहले से राजस्थान में कांग्रेस विधायकों को खरीदने से जुड़े टेप मामले में आ चुका है। अदालत ने यह आदेश लाडु सिंह और गुमन सिंह की याचिका पर दिया। अदालत ने आदेश देते हुए कहा कि शेखावत और अन्य के खिलाफ लगाए गए आरोप की जांच एसओजी द्वारा की जानी चाहिए।