
वायनाड। पीएम मोदी के सरनेम के ऊपर अशोभनीय टिप्पणी करने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता उस वक्त चली गई जब उनको सूरत कोर्ट द्वारा 2 साल की सजा सुनाई गई। अब राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने पर दिल्ली में शोर है, लेकिन उनके अपने ही गढ़ वायनाड में हालात विपरीत नजर आ रहे हैं। खबर है कि क्षेत्र में राहुल के खिलाफ हुई कार्रवाई का खास सियासी असर नहीं हो रहा है। शुक्रवार को सूरत की एक कोर्ट ने राहुल को आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराया था। साथ ही उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद से ही सियासी हंगामा मचा हुआ है।
आपको बता दें कि राहुल गांधी के लोकसभा क्षेत्र वायनाड में ही आने वाले कलपेट्टा में रविवार को कांग्रेस के साथ खेला हो गया। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यहां महात्मा गांधी की तस्वीर के पीछे कांग्रेस के करीब 50 नेता विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पास ही मौजूद बस स्टैंड के पास यात्रियों और आम जनता का आना जाना था, लेकिन किसी को एक के बाद एक भाषण दे रहे कांग्रेस नेताओं की बात सुनने में दिलचस्पी नहीं रही। खबर है कि शाम 4 बजे तक सत्याग्रह समाप्त होने की कगार पर था और मौके पर खाली कुर्सियां ही नजर आ रही थीं। खास बात है कि राहुल के खिलाफ कार्रवाई को तीन दिन का समय बीत गया है, लेकिन वायनाड में अब तक सियासी उबाल नहीं है। वायनाड में कुछ विरोध प्रदर्शनों को छोड़ दिया जाए, तो यहां कांग्रेस भीड़ जुटाने में नाकामयाब नजर आई।
गौर करने वाली बात यह है कि वायनाड राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र है और ऐसे में वायनाड में कांग्रेस की ऐसी स्थिति कहीं ना कहीं चिंता का विषय है। कांग्रेस की यह तस्वीर ऐसे समय पर सामने आई है, जब लोकसभा चुनाव 2024 में एक ही साल बचा है। रिपोर्ट के अनुसार, वायनाड जिला कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व विधायक एनडी अप्पाचन कहते हैं कि वह विरोध प्रदर्शन में अहिंसा का रास्ता अपना रहे हैं। हालांकि, कलपेट्टा की सड़कों पर शुक्रवार को ही हिंसा देखने को मिली। उस दौरान केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य पी अली और यूथ कांग्रेस के जिला सचिव सलि रत्ताकोली और उनके समर्थक भिड़ गए। कहा जा रहा है कि इस झगड़े ने ही वायनाड में कांग्रेस को बांट दिया है, जिससे कई नेता बाद में हुए प्रदर्शनों से दूरी बनाते हुए नजर आए।