नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में जारी सियासी सरगर्मियां तेजी से चल रही हैं। पार्टी में चल रही उथल-पुथल को बीच अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने अपनी पार्टी की स्थिति को देखते हुए निराशा जताई है। चिदंबरम ने कहा कि पार्टी फोरम में “सार्थक बातचीत” शुरू करने में विफल रहने पर वह “असहाय” महसूस कर रहे हैं। इसके साथ ही चिदंबरम ने कपिल सिब्बल के घर के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के खिलाफ भी आवाज उठाई है। दरअसल सिब्बल ने बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाया था और पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की मांग भी उठाई थी। जिसके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सिब्बल के घर के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया था। वहीं अब इस मामले में पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए कहा, ”जब हम पार्टी मंचों के भीतर सार्थक बातचीत शुरू नहीं कर पाते हैं तो मैं असहाय महसूस करता हूं।जब मैं अपने एक सहयोगी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा नारे लगाते हुए तस्वीरें देखता हूं तो मैं भी आहत और असहाय महसूस करता हूं।”
I feel helpless when we cannot start meaningful conversations within party forums.
I also feel hurt and helpless when I see pictures of Congress workers raising slogans outside the residence of a colleague and MP.
The safe harbour to which one can withdraw seems to be silence.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 30, 2021
कपिल सिब्बल का बयान
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने बयान देते हुए कहा था कि ‘कांग्रेस में अब कोई निर्वाचित अध्यक्ष नहीं है। हम नहीं जानते कि पार्टी के निर्णय कौन ले रहा है।’ दरअसल, कांग्रेस नेता ने पंजाब मे आए राजनीतिक संकट को देखते हुए यह बयान दिया था। अपने बयान में सिब्बल ने कहा, ‘हम जी-23 हैं, निश्चित रूप से जी हुज़ूर-23 नहीं हैं। पार्टी के सामने हम मुद्दों को उठाते रहेंगे।’ साथ ही उन्होंने कहा कि यह कभी भी जी-23 नहीं था, यह हमेशा जी-23 प्लस रहा है. कपिल सिब्बल ने आगे कहा था, ‘हम शीर्ष नेतृत्व से बात करते रहेंगे।
गुलाम नबी आजाद का पत्र
इसके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि पार्टी से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक बुलाई जाए। वहीं सूत्रों की मानें तो राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष आजाद ने पत्र में कहा था कि पार्टी से कई नेताओं के अलग होने के मद्देनजर आंतरिक रूप से चर्चा की जाए।