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बीते 10 साल में 90% चुनावों में कांग्रेस की हुई करारी हार: प्रशांत किशोर ने फिर साधा राहुल पर निशाना

पीके ने एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस की वर्तमान परेशानियों का जिक्र कर कहा कि कांग्रेस में सबसे बड़ी समस्या वंशवाद की राजनीति का है। अगर कांग्रेस चाहती है कि वो खुद को सियासत में पुनर्जीवत करें, तो उसे सबसे पहले गांधी परिवार को दूर करना होगा।

नई दिल्ली। जैसे मछली बिना पानी के छटपटाती है, ठीक वैसे ही देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों से सत्ता के लिए छटपटा रही है, लेकिन अफसोस अपने आपको सियासी सूरमा कहने वाले कांग्रेस के बड़े दिग्गजों के हाथों जिस तरह से नाकामी लग रही है, उसे देखते हुए उनकी निराशा नैर्सेगिक है। याद कीजिए 2019 का लोकसभा चुनाव जब राहुल गांधी को बीजेपी की शेरनी माने जाने वाली स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था। याद कीजिए इसके बाद के तमाम चुनावों को जहां कांग्रेस का सूपड़ा ही साफ हो गया था। इन तमाम स्थितियों से एक बात तो साफ जाहिर होती है कि देश की का जनता का कांग्रेस से मोहभंग हो चुका है। अब यह मोहभंग क्यों हुआ है। यह विवेचना का विषय है। अभी कुछ माह बाद उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में चुनावी बिगुल बजने वाला है, जिसे ध्यान में रखते हुए राहुल गांधी से लेकर सोनिया गांधी अपनी गोटियां फिट करने में जुट चुकी हैं, लेकिन राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाने वाले प्रशांत किशोर का अपना ऐसा मानना है कि कांग्रेस महज बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलकर या पीएम मोदी की आलोचना करके या हर मसले पर बीजेपी के विरोध में हल्ला बोलकर सत्ता हासिल नहीं कर सकती है। उसे सबसे पहले अपने घर की समस्याओं पर ध्यान देकर उसके समाधान की राह तलाशनी होगी।

rahul gandhi

पीके ने एक न्यूज चैनल को दिए साक्षात्कार में कांग्रेस की वर्तमान परेशानियों का जिक्र कर कहा कि कांग्रेस में सबसे बड़ी समस्या वंशवाद की राजनीति का है। अगर कांग्रेस चाहती है कि वो खुद को सियासत में पुनर्जीवत करें, तो उसे सबसे पहले गांधी परिवार को दूर करना होगा। राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी को पार्टी से अपने पैर पीछे खींचने होंगे, तभी जाकर पार्टी का कुछ भला आने वाले चुनावी राज्यों में हो सकता है। नहीं तो अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा तो कांग्रेस के लिए हालातों की गंभीरता यूं ही बढ़ती रहेगी।

प्रशांत किशोर ने कहा कि कांग्रेस की दुर्गति का अंदाजा महज इसी से लगाया जा सकता है कि 1984 के बाद से पार्टी अभी तक अपने दम पर सत्ता हासिल नहीं कर पाई है, उसे किसी न किसी दल का सहारा लेना पड़ा है। पिछले 10 सालों के नतीजों पर नजर डालें तो पार्टी को 90 फीसद से ज्यादा चुनावों में हार का सामना ही करना पड़ा है। इसे कांग्रेस की दुर्गति नहीं तो और क्या कहें। खैर, अगर कांग्रेस चाहती तो बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलकर उस पर हावी हो सकती थी, तो उसके लिए पार्टी से गांधी परिवार के हस्तक्षेप को शुन्य करना होगा, तभी जाकर कांग्रेस के लिए बेहतरी की अलख जगेगी।

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वहीं, पीएम मोदी के बारे में जिक्र कर उन्होंने कहा कि आज की तारीख में पीएम मोदी का नेतृत्व बहुत बड़ा हो चुका है। जिस त्रीवता से पूरे देश में बीजेपी की सियासी बिसात बिछती चली जा रही है। हर राज्य में बीजेपी का सियासी दुर्ग स्थापित होता जा रहा है। मतदादाताओं को रुझान भी बीजेपी की तरफ बढ़ता चला जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के लिए बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलना चुनौतिपूर्ण है।