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Karnataka: टीपू सुल्तान के ऊपर लिखा था विवादित नाटक, अब कर्नाटक में बीजेपी की हार पर करियप्पा ने दिया पद से इस्तीफ़ा

Karnataka: नाटक के सामने आने के बाद उनपर सवाल उठाए गए थे। उनपर मुस्लिम विरोधी होने के भी आरोप लगे थे। करियप्पा ने किताब और नाटक में जो दावा किया था उसके अनुसार मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने करीब 80 हजार लोगों को मौत के घात उतरवा दिया था। इन्हीं दावों के चलते कांग्रेस और अन्य लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे, उनपर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप भी लगे थे। इसी मामले में वक्फ बोर्ड के पूर्व चैयरमेन बीएस रफीउल्लाह करियप्पा के विरुद्ध कोर्ट पहुंच गए थे। इसके साथ ही लोगों ने ये भी मांग उठाई थी कि किताब पर बैन लगा दिया जाए।

नई दिल्ली। कर्नाटक के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा है। इसके बाद पार्टी अपनी हार को लेकर मंथन करने में जुटी है। लेकिन इस बीच भाजपा से जुड़े रहे मैसूर थिएटर इंस्टिट्यूट के डायरेक्टर अद्दांदा सी करियप्पा ने एक बड़ा फैसला किया है। पार्टी की हार पर अपनी नैतिक जिम्मेदारी का हवाला देते हुए करियप्पा ने अपने पद से इस्तीफ़ा देने का बड़ा निर्णय किया है। इस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कन्नड़ और संस्कृति मंत्रालय को लिखे गए एक लेटर में करियप्पा ने जिक्र किया, ”जिस गवर्नमेंट ने मुझे रंगायन इंस्टिट्यूट का डायरेक्टर बनाने का काम किया था उसके चुनाव हार जाने से मैं आहत हूं। ऐसे में लोगों के प्रति मेरी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इस पद को छोड़ दूं। इसी के चलते में अपने पद को छोड़ रहा हूं।”

 

जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस पद पर रहने वाले करियप्पा पर कई आरोप भी लगाए गए थे। जब उन्होंने मैसूर के शासक टीपू सुल्तान पर एक नाटक लिखा था। जिसका टाइटल था ‘टीपू निजा कानासुगालू।’ इसका अर्थ होता है. ‘टीपू का वास्तविक सपना।’ इसके बाद इस नाटक को मैसूर के भूमिगीता में भी प्रदर्शित किया गया था। इसके बाद इस नाटक पर एक किताब भी पब्लिश की गई थी। इसी किताब के अंदर ये भी दावा किया गया था कि टीपू सुल्तान की हत्या ब्रिटिश हुकूमत द्वारा नहीं बल्कि वोक्कालिगा उरी गौड़ा और नान्जे गौड़ा के द्वारा की गई थी। इस कहानी में मुस्लिम नेताओं निशाने पर लिया गया था।

इस तरह किताब और नाटक के सामने आने के बाद उनपर सवाल उठाए गए थे। उनपर मुस्लिम विरोधी होने के भी आरोप लगे थे। करियप्पा ने किताब और नाटक में जो दावा किया था उसके अनुसार मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने करीब 80 हजार लोगों को मौत के घात उतरवा दिया था। इन्हीं दावों के चलते कांग्रेस और अन्य लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे, उनपर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप भी लगे थे। इसी मामले में वक्फ बोर्ड के पूर्व चैयरमेन बीएस रफीउल्लाह करियप्पा के विरुद्ध कोर्ट पहुंच गए थे। इसके साथ ही लोगों ने ये भी मांग उठाई थी कि किताब पर बैन लगा दिया जाए।