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पोलियो का शिकार था देश का हेल्थ सिस्टम, मोदी के काल मे शुरू हुआ सही इलाज, नृपेंद्र मिश्रा ने बताई हकीकत

नृपेंद्र मिश्रा ने आज़ादी के बाद देश के स्वास्थ्य ढांचे के प्रति जवाबदेही और प्राथमिकता की कमी का भी गहराई से विश्लेषण किया है। उदाहरण के लिए भारत में पोलियो टीकाकरण साल 1979 से शुरू हुआ। इससे चौथाई शताब्दी पहले यह अमेरिका में शुरू हो चुका था। इसी तरह हेपेटाइटिस बी को साल 2002 के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया। जबकि 20 साल पहले ही इसके टीके अमेरिका में व्यवसायिक तौर पर उपलब्ध थे।

प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा ने कोरोना की दूसरी लहर के कारणों और उससे जूझ पाने में आई दिक्कतों का गंभीर विश्लेषण किया है। उन्होंने इसे परफेक्ट स्टार्म यानि पूर्ण तूफान करार दिया है। इसकी वजहों में लोगों का सावधानी छोड़ देना, वायरस की अप्रत्याशित रफ्तार का होना और साथ-साथ स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे की कमियां शामिल रहीं। साथ ही भारत के संघीय ढांचे की ऐसी खासियतें भी रहीं जिसके चलते केंद्र लाचार नजर आया। भारत चीन नहीं है, जहां तानाशाही के फरमान जारी कर दिए जाएं। स्वास्थ्य वैसे भी राज्यों के खांचे का विषय है।

नृपेंद्र मिश्रा ने आज़ादी के बाद देश के स्वास्थ्य ढांचे के प्रति जवाबदेही और प्राथमिकता की कमी का भी गहराई से विश्लेषण किया है। उदाहरण के लिए भारत में पोलियो टीकाकरण साल 1979 से शुरू हुआ। इससे चौथाई शताब्दी पहले यह अमेरिका में शुरू हो चुका था। इसी तरह हेपेटाइटिस बी को साल 2002 के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया गया। जबकि 20 साल पहले ही इसके टीके अमेरिका में व्यवसायिक तौर पर उपलब्ध थे। स्माल पॉक्स के मामले में तो अति हो गई। देश में स्मालपॉक्स इरै़डिकेशन मिशन साल 1962 में लॉन्च किया गया जबकि आलम यह था कि साल 1974 तक भारत इसके प्रभावों से जूझ रहा था। भारत में जब ये आखिरकार साल 1977 में समाप्त हुआ, उससे 25 साल पहले अमेरिका और यूरोप में समाप्त हो चुका था। इस बीच कितनों की जान गई। कितने शारीरिक तौर पर अपंग और अक्षम हुए।

Nripendra Misra

उत्तर भारत में इंसेफ्टिलाइटिस से हजारों बच्चे जूझ रहे थे। इस खतरे पर साल 2017 में पहली बार तब गंभीरता से कार्यवाही की गई, जब योगी आदित्यनाथ ने यूपी की कुर्सी संभाली। यही हाल देश की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था का रहा। देश में सिर्फ एक ही एम्स था। दिल्ली में। साल 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद इन पर तेजी से काम शुरू हुआ और आज देश में 20 से अधिक एम्स हैं। आयुष्मान भारत उस पिछड़े भारत तक भी चिकित्सा की रोशनी पहुंचा रहा है जो आजादी के बाद से जूझ रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी के कमान संभालने के बाद से स्वास्थ्य सेवाओं के सिलसिले में गंभीरता से नीतियां बननी शुरू हुईं। मल्टीनेशनल कंपनियों की इंट्री, फार्मा सेक्टर का विस्तार, क्लीनिकल ट्रायल, रिसर्च एंड डेवलपमेंट ने इस क्षेत्र में हलचल पैदा की। फिर भी मोदी सरकार के आने तक सुविधाओं का ये गैप काफी बड़ा हो चुका था।

मोदी सरकार ने समग्रता के दृष्टिकोण के साथ इस समस्या के समाधान की दिशा में काम करना शुरू किया। स्वच्छ भारत लांच किया गया। टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने के लिए इंद्रधनुष की शुरूआत हुई। आयुष्मान भारत और जलजीवन मिशन ने इस क्षेत्र में उम्मीद की नई किरण पैदा की। साल 2015 में नई स्वास्थ्य नीति के जरिए निजी क्षेत्र की अधिक हिस्सेदारी का रास्ता खोला गया। दूरदराज के इलाकों में टेली मेडिसिन की सुविधा को गति दी गई। आधारभूत ढांचे का विस्तार किया गया। मगर कोविड 19 ने हमारे चिकित्सा ढांचे पर अतुलनीय दबाव डाला। पहली लहर के दौरान चिकित्सा ढांचे को मजबूत करने की जबरदस्त कोशिशें हुईं मगर दूसरी लहर की गति और तीव्रता इस सब पर भारी पड़ गई।

Coronavirus

इस सबके बावजूद देश में हालात सुधारने के लिए बेहद तेजी से कोशिशें की गईं हैं। अब तक 20 करोड़ से अधिक कोविड टीकों को लगाने में सफलता हासिल करना इस दिशा में बेहद अहम कदम है। इसकी तुलना आप उस दौर से कीजिए जब भारत से दशकों पहले ही दूसरे विकासशील देशों में पोलियो और स्माल पॉक्स को समाप्त किया जा चुका था। जबकि आज कोविड के टीकों की प्रगति के मामले में हम अमेरिका से बस थोड़ा ही पीछे हैं।

कोविड की ये लड़ाई भी हम जीत लेंगे। देश के हर नागरिक तक समग्र स्वास्थ्य ढांचे को पहुंचाने का युद्ध शुरू हो चुका है। नतीजों के असर भी दिखने लगे हैं। इस वक्त हेल्थ केयर में सरकारी निवेश बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है। खासकर रिसर्च के क्षेत्र में। देश के ग्रामीण और दूरदराज के हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने की भी बेहद सख्त जरूरत है। चूंकि काम हो रहा है, इसलिए लोगों की अपेक्षाएं भी बढ़ी हैं। साथ साथ मिलकर, प्राथमिकता से काम करके और संसाधनों का सही उपयोग कर हम स्वास्थ्य सेवाओं के इस ढांचे को मजबूत करने के अभियान में सफल हो सकते हैं।