नई दिल्ली। आरजी कर मेडिकल कॉलेज मामले को अदालत ने रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस नहीं माना है, यही वजह है कि दोषी संजय रॉय को फांसी की सजा के बजाए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सीबीआई ने दोषी को मृत्युदंड दिए जाने की मांग की थी। सियालदाह कोर्ट के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरबन दास ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को मृत डॉक्टर के पीड़ित परिजनों को 17 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का निर्देश दिया है। संजय रॉय ने सजा सुनाए जाने से पहले कोर्ट में खुद को निर्दोष बताया।
इससे पहले शनिवार को जब सियालदह की अदालत ने संजय रॉय को दोषी करार दिया था तब भी उसने खुद को निर्दोष बताया था। संजय राय ने दावा किया था कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है और उसने इस केस में किसी भी तहर से उसकी संलिप्तता से इनकार किया था। संजय रॉय ने यह आरोप भी लगाया था कि जिन्होंने इस कृत्य को अंजाम दिया है उनको बचाने के लिए उसे फंसाया जा रहा है। आपको बता दें कि 8-9 अगस्त 2024 की रात को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। 13 अगस्त को सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई थी।
#WATCH कोलकाता (पश्चिम बंगाल): आर.जी. कर बलात्कार-हत्या मामले में दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, “कोर्ट के आदेश पर हम कुछ नहीं कह सकते, हम चाहते थे कि मृत्युदंड हो। वो नहीं हुआ। पीड़ित परिवार रुपए नहीं चाहता। बंगाल के… pic.twitter.com/qqgtWwYA7M
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 20, 2025
वहीं, दोषी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, कोर्ट के आदेश पर हम कुछ नहीं कह सकते लेकिन हम चाहते थे कि दोषी को मृत्युदंड की सजा मिले। हालांकि कोर्ट वो नहीं हुआ। कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को पीड़ित परिवार को 17 लाख रुपए देने के निर्देश पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता पीड़ित परिवार रुपए चाहता है। बंगाल के लोगों को नहीं लगता कि इसमें सिर्फ एक व्यक्ति शामिल था, इसकी और भी जांच होनी चाहिए। कोर्ट को बोलना चाहिए था कि मामले में दोषी संजय ने जिन लोगों का नाम लिया उसकी जांच होनी चाहिए।