
नई दिल्ली। फिरोजाबाद जिले के दिहुली गांव में चार दशक पहले हुए नरसंहार मामले में मैनपुरी जिले की अदालत ने फैसला सुनाते हुए तीन दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। दोषियों पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी अदालत ने लगाया है। मैनपुरी डकैती न्यायालय के स्पेशल जज इंदिरा सिंह ने 11 मार्च को कप्तान सिंह, रामसेवक और रामपाल को दोषी ठहराया था, अब इन तीनों को सजा सुना दी गई। फांसी की सजा सुनते ही तीनों दोषी कोर्ट परिसर में रोने लगे। उधर अदालत के फैसले के बाद दिहुली गांव में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
मैनपुरी
दिहुली हत्याकांड के आरोपियों को सजा ए मौत
44 साल बाद आया कोर्ट का फैसला
1981 में हुआ था नरसंहार
24 दलितों को गोलियों से भून गया था
तत्कालीन पीएम और उत्तर प्रदेश के CM गांव पहुंचे थे
लगातार चली इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई
फिर वापस मामला पहुंचा जिला सत्र न्यायालय pic.twitter.com/oexD5HYYTi— The Indian Truth News (@newspraveen) March 18, 2025
18 नवंबर 1981 का वो काला दिन जब फिरोजाबाद जिले के अंतर्गत आने वाले जसराना के दिहुली गांव में हथियारों से लैस कई बदमाशों ने एक दलित बस्ती में धावा बोला। इस दौरान बदमाशों के सामने जो भी आया उन्होंने उसे गोलियों से भून डाला। लगभग तीन घंटे तक बदमाशों ने जमकर उत्पात मचाया। 23 लोगों की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी जबकि एक अन्य ने अस्पताल के जाते समय दम तोड़ दिया था। मरने वालों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। 24 लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने 24 लोगों को ही आरोपी बनाया था जिनमें से ज्यादातर अब इस दुनिया में नहीं हैं।
इस घटना के अगले दिन जसराना थाने में दिहुली गांव के ही रहने वाले लायक सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी दिहुली पीड़ितों से मुलाकात की थी। वहीं अटल विहारी वाजपेई भी दिहुली के पीड़ितों से मिले थे। इस मामले में पुलिस ने कप्तान सिंह, रामपाल सिंह, रामसेवक, राधेश्याम उर्फ राधे, संतोष चौहान उर्फ संतोषा, रविन्द्र सिंह, वेदराम, मिट्ठू, भूपराम, मानिक चन्द्र, लटूरी, राम सिंह, चुन्नीलाल, होरी लाल, सोनपाल, लायक सिंह, बनवारी, जगदीश, कमरुद्दीन, श्यामवीर, कुंवर पाल, रेवती देवी, फूल देवी और लक्ष्मी को आरोपी बनाया था।