
नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रदेश विधानसभा में दशकों से चली आ रही एक परम्परा को खत्म कर दिया है। दरअसल असम विधानसभा में मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार के दिन होने वाली जुमे की नमाज अदा करने के लिए दो घंटे का समय दिया जाता था। इस दौरान विधानसभा की कार्यवाही रोक दी जाती थी। अब हिमंत बिस्वा की सरकार ने मुस्लिम विधायकों को नमाज अदा करने के लिए मिलने वाले समय पर रोक लगा दी है। इस फैसले के बाद अब शुक्रवार को भी अन्य दिनों की तरह ही सदन की कार्यवाही बिना किसी ब्रेक के चलती रहेगी। वहीं सरकार के इस फैसले का मुस्लिम विधायक विरोध कर रहे हैं।
विधानसभा अध्यक्ष विश्वजीत दैमारी ने यह प्रस्ताव रखा था कि शुक्रवार को भी हफ्ते के अन्य दिनों की तरह सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलनी चाहिए। इस प्रस्ताव को सदन की कमेटी के सामने रखा गया जिसे मंजूरी मिल गई। अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी ने कहा कि संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के तहत यह बड़ा कदम उठाया गया है। इससे विधायकों का समय बर्बाद नहीं होगा। वहीं मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले का स्वागत किया है। आपको बता दें कि मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला के द्वारा 1937 में इस परम्परा की शुरुआत हुई थी। दूसरी तरफ मुस्लिम विधायक इस निर्णय से नाराज हैं।
एआईयूडीएफ के विधायक रफीकुल इस्लाम ने नमाज के लिए मिलने वाले ब्रेक को खत्म करने के फैसले पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह संख्या बल के आधार पर थोपा गया फैसला है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में मौजूदा समय में मुस्लिम विधायकों की संख्या 30 है। सभी मुस्लिम विधायकों ने दशकों पुरानी इस परम्परा को खत्म किए जाने का विरोध जताया था मगर सरकार के पास विधायकों का ज्यादा संख्या बल है जिसके चलते हमारी मांग को अनसुना कर दिया गया।