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Amritpal Singh : ‘लोकतंत्र में खालिस्तान की मांग गलत नहीं’… क्या नया भिंडरावाले बनने की राह पर निकल पड़ा है मास्टरमाइंड अमृतपाल सिंह

Amritpal Singh : अमृतपाल ने अपने समर्थकों के दम पर लवप्रीत तूफानी को रिहा करा कर पंजाब में आनेवाले तूफान का संकेत दे दिया है। लोगों के मन में सवाल है कि क्या भिंडरावाले को अपना गुरू मानने वाले अमृतपाल ने एक बार पंजाब की आजादी की जंग छेड़ दी है।

नई दिल्ली। एक लंबे वक्त से पंजाब में खालिस्तान की मांग को लेकर एक गुट लगातार सरकार के विरोध में उतरा हुआ है। हाल ही में अमृतपाल के सहयोगी लवप्रीत सिंह की अजनाला जेल से रिहाई के बाद कुछ दशक पहले आतंकवाद का कहर झेल चुका पंजाब एक बार फिर सुलगने लगा है। सूबे में एक बार फिर खालिस्तान की गूंज सुनाई देने लगी है। खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने अलग खालिस्तान की मांग को लेकर एक फिर जहर उगला है। अमृतपाल ने कहा है कि आजादी के पहले भारत नहीं था, और वह भारत की परिभाषा को नहीं मानता। पिछले दो दिनों में जैसी तस्वीरें पंजाब से आई हैं, उन्हें देखकर लगता है कि वह भारत ही नहीं बल्कि भारत के कानून को भी नहीं मानता। एक इंटरव्यू के दौरान जब अमृतपाल से सवाल किया गया कि क्या वह भारतीय संविधान में विश्वास करता है तो उसने जवाब दिया की क्या भारतीय संविधान उसके विचारों में विश्वास रखता है?

आपको बता दें कि जिस लवप्रीत तूफानी की वजह से पिछले 2 दिनों से पंजाब में बवाल मचा हुआ था वह अब जेल से बाहर आ गया है। अमृतसर जेल से लवप्रीत के बाहर निकलने के बाद समर्थकों ने जबरदस्त नारेबाजी की, और उसने भी ‘सत श्री अकाल’ के नारे लगाए। रिहाई के बाद तूफानी ने साफ शब्दों में कहा कि उसके ऊपर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। अमृतपाल सिंह सिख कौम के जरनैल (जनरल) हैं। लवप्रीत और अमृतपाल के बयानों को गौर से सुनें तो उनमें खालिस्तान की आहट साफ तौर पर सुनी जा सकती है।

‘वारिस पंजाब दे’ की कमान अमृतपाल के हाथ में आने से पहले अभिनेता दीप सिद्धू के हाथ में थी। लेकिन उनकी मौत के बाद अमृतपाल सिंह को ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख नियुक्त किया गया। अब उनके बीच की एक ऑडियो कॉल भी खूब वायरल हो रही है, इसमें वो खालिस्तान और पंजाब के बारे में बात करते हुए साफ तौर पर सुने जा सकते हैं।

सुनिए-

गौरतलब है कि ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह ने अपने ताजा बयान में कहा है कि लोकतंत्र में खालिस्तान की मांग गलत नहीं है। उसने साक्षात्कार के दौरान कहा कि खालिस्तान के लिए शांतिपूर्ण आंदोलन उनका अधिकार है, और सरकार हमारे लोकतांत्रिक अधिकार को दबा नहीं सकती। अमृतपाल ने कहा कि पंजाब एक अलग देश है और सिखों के साथ 1947 से ही अन्याय हो रहा है। उसने कहा कि जब तक ये होता रहेगा हम लड़ते रहेंगे। अमृतपाल ने लवप्रीत तूफानी के खिलाफ दर्ज FIR को भी नकली करार दिया है।

खास बात ये है कि लवप्रीत तूफानी की गिरफ्तारी और अब रिहाई के बाद पंजाब की भगवंत मान सरकार के ऊपर भी तमाम तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पंजाब की पुलिस अमृतपाल सिंह के बनाए गए दबाव के आगे झुक गई। अमृतपाल ने अपने समर्थकों के दम पर लवप्रीत तूफानी को रिहा करा कर पंजाब में आनेवाले तूफान का संकेत दे दिया है। लोगों के मन में सवाल है कि क्या भिंडरावाले को अपना गुरू मानने वाले अमृतपाल ने एक बार पंजाब की आजादी की जंग छेड़ दी है। सरकार की खामोशी पंजाब का फिक्र करने वालों की चिंता बढ़ाने के लिए काफी है। अगर सरकार ऐसे ही खामोश रही तो खालिस्तान की मांग करने वालों के हौसले और बुलंद होंगे।