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Demonetisation: संसद में पेश किया गया नोटबंदी से सरकार को हुए फायदे का पूरा लेखा-जोखा

Demonetisation: विमुद्रीकरण की अवधि के दौरान जमा की गई भारी राशियों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निषेध अधिनियम, 2002 (पीएमएलए, 2002) के प्रावधानों के तहत 9 मामले तथा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा, 1999) के तहत 5 मामले दर्ज किए हैं।

नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे ये वो वक्त था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया था। इस ऐलान के बाद से 500 और 1000 के नोट की कीमत केवल कागच के टुकड़ों के बराबर रह गई थी। इस नोटबंदी से लोगों को कोफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। घंटो-घंटो उन्हें बैकों के बाहर कतारों में खड़ा रहना पड़ा। हर राजनीतिक दल और आम इंसान उस वक्त यही सवाल कर रहा था कि आखिर नोटबंदी का फैसला क्यूं लिया गया। इस सवाल का जवाब आज संसद में पेश किया गया। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने नोटबंदी (विमुद्रीकरण) से सरकार को आखिर क्याप फायदा हुआ इसका ब्यौरा लोकसभा में बताया। पंकज चौधरी ने बताया कि नोटबंदी के कारण भारी संख्या में बैंक खातों में पैसे जमा किए गए। इससे ये पता लगाया जा सका कि इन पैसों का मालिक कौन है। इसके साथ ही उन लोगों पर कार्रवाई की गई जो की नोटबंदी की स्कींम के दुरुपयोग में जुड़े लोगों पर कई कार्रवाईयां की गई।

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी

चौधरी ने इस बारे में जानकारी दी कि आयकर विभाग की ओर से नवंबर, 2016 से मार्च, 2017 के समय के दौरान 900 समूहों पर तलाशी की कार्रवाई की गई थी जिसका नतीजा ये निकला की 900 करोड़ रुपये जब्तस किए गए। जब्त की गई रकम में से 63.6 करोड़ रुपये की नकदी तथा 7961 करोड़ की अप्रकटित आय की स्वी्कारोक्ति रही। इस समय अवधि के दौरान 8239 सर्वेक्षण भी किए गए थे जिसमें 6745 करोड़ रुपये की अप्रकटित इनकम की जानकारी मिली।

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एक सवाल के जवाब में चौधरी ने कहा कि नोटबंदी के बाद बैंक खातों में 5.10 लाख रुपये जमा करने वाले नॉन-आईटी फाइलरों के मामलों में इलेक्ट्रॉीनिक अभियान शुरु किया गया। जिसके बाद 3.04 लाख ऐसे लोगों की पहचान की गई थी, जिन्होंबने 10 लाख रुपये या फिर इससे ज्यादा नकद खातों में जमा किया और आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया। कुल मिलाकर लक्षित नॉन-फाइलरों द्वारा 13,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के स्वं-निर्धारित कर का भुगतान किया गया।

चौधरी ने ये भी बताया कि वित्ता वर्ष 2017-18 के दौरान, विमुद्रीकरण के बाद आयकर विभाग द्वारा लगातार हस्ताक्षेपी अभियान चलाया गया इसके फलस्वरूप प्रत्याक्ष करों का निवल संग्रह बीते साल के मुकाबले 18 प्रतिशत बढ़कर 10.03 लाख करोड़ रुपये जा पहुंचा। ये आंकड़ा बीते साल वित्तीाय वर्षों की सबसे ऊंची वृद्धि है। वित्तढ वर्ष 2016-17 के मुकाबले वित्ते वर्ष 2017-18 में व्य क्तिगत अग्रिम कर में 23.4 प्रतिशत तथा व्य क्तिगत स्‍व-निर्धारण कर में 29.9 प्रतिशत की अनगिनत बढ़ोतरी हुई है।

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इसके अलावा, विमुद्रीकरण की अवधि के दौरान जमा की गई भारी राशियों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निषेध अधिनियम, 2002 (पीएमएलए, 2002) के प्रावधानों के तहत 9 मामले तथा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (फेमा, 1999) के तहत 5 मामले दर्ज किए हैं। ईडी ने फेमा के तहत वित्ती्य संस्थािओं (बैंकों) के उच्च9 मूल्यत की जमा राशियों के खिलाफ एक मामला पंजीकृत किया है।