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काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रति दिखी भक्तों में अगाध आस्था, इस सावन माह 1 करोड़ श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, ध्वस्त किए पुराने रिकॉर्ड

इसके साथ ही इस संदर्भ में मंदिर के कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने विस्तृत जानकारी देते हुए कहते हैं कि सावन माह में काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रतिदिन औसतन 3 से 4 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं।

नई दिल्ली। काशी विश्वनाथ मंदिर हमेशा से ही श्रद्धालुओं के मध्य आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन इस वर्ष श्रद्धालुओं के मध्य बाबा विश्वनाथ मंदिर का आकर्षण अपने चरम पर देखने को मिला है। जिसके बारे में किसी और ने नहीं, बल्कि मंदिर के कार्यपालक ने खुद जानकारी साझा की है। उन्होंने कहा कि प्राय: सावन माह में 30 से 40 लाख श्रद्धालु ही बाबा के दर्शन करने जाते हैं, लेकिन इस वर्ष श्रद्धालुओं ने पुराने कीर्तिमानों को ध्वस्त करते हुए अपने नाम नया कीर्तिमान स्थापित किया है। बता दें कि इस सावन माह में 1 करोड़ से भी अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए गए हैं। यही नहीं, माना यह भी जा रहा है कि आगामी दिनों में उपरोक्त आंकड़ों में इजाफा भी दर्ज किया जा सकता है।

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वहीं, अगर उपरोक्त आंकड़ों को मुस्लिम धार्मिक स्थलों से जोड़कर देखें तो प्रतिवर्ष 25 लाख मुस्लिम श्रद्धालु मक्का के दर्शन करने जाते हैं। उधर, ईसाइयों के पवित्र धार्मिक स्थल वेटिकन की बात करें, तो प्रतिवर्ष वहां 60 लाख लोग जाते हैं। सामन्यत: प्रतिमाह काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए 20 से 30 लाख श्रद्धालु तो जाते ही हैं, लेकिन इस साल सावन माह श्रद्धालुओं ने अपनी आगाध आस्था का परिचय देते हुए अपने पुराने रिक़ॉर्डों को स्वाहा कर दिया है।

इसके साथ ही इस संदर्भ में मंदिर के कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा विस्तृत जानकारी देते हुए कहते हैं कि सावन माह में काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिदिन औसतन 3 से 4 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। यही नहीं, सावन में प्रति सोमवार को दर्शन करने वालों के श्रद्धालुओं की संख्या 28 लाख रही है। फिलहाल, इन आंकड़ों की चर्चा अभी अपने चरम पर है। लोगों के बीच इन आंकड़ों की चर्चा खूब हो रही है। सोशल मीडिया पर भी काशी विश्वनाथ को लेकर क्षद्धालुओं के मध्य देखी गई अगाध आस्था की खूब चर्चा हो रही है। ऐसे में आपका इस पूरे मसले पर बतौर पाठक क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।

बता दें कि काशी विश्वनाथ मंदिर शुरू से ही राजनीति का केंद्र भी माना जाता रहा है। तमाम सियासी नुमाइंदे यहां अपनी मौजूदगी दर्ज कराकर अपने लिए सियासी मार्ग प्रशस्त करते हुए नजर आए हैं। कई मौकों पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां अपनी आमद दर्ज कराकर कई बड़े सियासी हित भी साधे हैं। लेकिन इन उपरोक्त आंकड़ों को महज एक आंक़ड़ा मान लेना पर्याप्त नहीं रहेगा। इन आंकड़ों में बड़े सियासी हित निहित हैं, जिनके निहितार्थ आगामी दिनों में राजनीतिक दशा व दिशा बदलने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।