नई दिल्ली। जौनपुर से पूर्व सांसद रहे बाहुबली धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के एक मामले में सात साल की सजा सुनाई गई है। इससे पहले एमपी-एमएलए कोर्ट ने मंगलवार को उन्हें दोषी करार दिया था जिसके बाद पुलिस ने धनंजय सिंह को हिरासत में ले लिया था। सजा के ऐलान के साथ ही अब धनंजय सिंह के राजनीतिक जीवन पर भी संकट गहरा गया है।
#WATCH | Uttar Pradesh: Former MP Dhananjay Singh sentenced to 7 years imprisonment and a fine of Rs 50 thousand by the MP MLA court of the district, in a high-profile kidnapping and extortion case. pic.twitter.com/IvmtVgdSRL
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 6, 2024
नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को जौनपुर के लाइन बाजार थाने में अपहरण और रंगदारी मांगने का आरोप लगाते हुए धनंजय सिंह पर केस दर्ज कराया था। पुलिस को दी गई तहरीर पर आरोप लगाया गया था कि धनंजय का परिचित विक्रम सिंह अभिनव सिंघल का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास पर ले गया था जहां अभिनव से रंगदारी की मांग की गई।
आपको बता दें कि धनंजय सिंह आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर जौनपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे लेकिन भाजपा ने जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित किया। जिसके बाद धनंजय सिंह ने बगावती तेवर अपनाते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा था, ‘साथियों! तैयार रहिए… लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर।’ उन्होंने इस पोस्ट के साथ एक पोस्टर भी शेयर किया है, जिसमें लिखा है, ‘जीतेगा जौनपुर जीतेंगे हम।‘ धनंजय सिंह मौजूदा समय में जदयू के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
धनंजय नीतीश कुमार की जदयू से काफी पुराने समय से जुड़े रहे हैं। एक बार वह जदयू की टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं। धनंजय सिंह ने पहली बार 2002 में रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता। इसके बाद 2007 में उन्हें जदयू से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचे। लेकिन 2008 में धनंजय जेडीयू छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें जौनपुर से टिकट दिया और पहली बार धनंजय सिंह सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे।