नई दिल्ली। देशभर में कृषि कानून के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान नेता सरकार से तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार की तरफ से किसानों को यह भरोसा दिलाया जा रहा है कि इसमें किसानों की तरफ से जो मांग की गई है उसको शामिल कर कानूनों में संशोधन किया जाएगा। सरकार और किसानों के बीच 6 दौर की बातचीत असफल रही है। किसान दिल्ली की सीमाओं को घेरकर बैठे हैं और अव देशव्यापी आंदोलन की धमकी भी किसानों द्वारा दी जा रही है। इस सब के बीच पंजाब से एक बड़ी खबर सामने आई है। पंजाब के डीआइजी जेल लखमिंदर सिंह जाखड़ ने किसान आंदोलन के समर्थन में अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जाखड़ का कहना है कि वह किसानों की मांग का समर्थन करते हैं और वह अपनी पद छोड़कर आंदोलन में शामिल होने चाहते हैं इसलिए वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। इसके बाद जाखड़ ने अपना इस्तीफा पंजाब सरकार को सौंप दिया है।
सरकार को सौंपे गए लखमिंदर सिंह जाखड़ के इस्तीफे की पुष्टि एडीजीपी जेल ने की है। ऐसे में किसानों के समर्थन में इस्तीफा देकर लखमिंदर सिंह सुर्खियों में आ गए हैं। वहीं मीडिया में आई खबरों की मानें तो लखमिंदर सिंह पहले से ही सस्पेंड चल रहे हैं। वहीं खबर यह भी है कि पंजाब सरकार की तरफ से उनका इस्तीफा अभी भी स्वीकार नहीं किया गया है। लखमिंदर सिंह ने अपने इस्तीफे को लेकर साफ कर दिया कि ‘मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं कृषि कानून के खिलाफ शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे अपने किसान भाइयों के साथ हूं। इसलिए मैं इस्तीफा दे रहा हूं।’
Punjab DIG(Prisons) Lakhminder Singh Jakhar writes to State Principal Secy Home requesting ‘to be treated as prematurely retired from service’; says “I’d like to inform you of my considered decision to stand with my farmer brothers who’re peacefully protesting against Farm laws.”
— ANI (@ANI) December 13, 2020
मतलब साफ है कि अब किसानों के विरोध प्रदर्शन को उच्च पदस्थ अधिकारियों का भी सहयोग मिलने लगा है। इनके समर्थन में कई सरकारी अधिकारी भी धीरे-धीरे आ रहे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में इस्तीफा देनेवाले लखमिंदर सिंह जाखड़ के बारे में खबर है कि उनको घूस लेने की वजह से सस्पेंड किया गया था। उनपर महीने के हिसाब से जेल अधिकारियों से पैसे लेने का आरोप है।
अपने इस्तीफे के बाद लखमिंदर सिंह जाखड़ ने साफ कर दिया कि इसका नोटिस उन्हें तीन महीने पहले देना होता है। लेकिन वह किसान के बेटे हैं ऐसे में उन्होंने यह फैसला लिया। इसके एवज में उन्हें तीन महीने का वेतन वापस करना पड़ेगा जिसके लिए वह तैयार हैं।