
नई दिल्ली। तमिलनाडु में जारी भाषा विवाद को लेकर आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने डीएमके सरकार के रवैए पर सवाल उठाया है। तेलुगु फिल्मों के एक्टर रह चुके पवन कल्याण ने कहा, एक तरफ तो तमिल नेता हिंदी का विरोध करते हैं और दूसरी तमिल फिल्मों को हिंदी में डब कराने की अनुमति देकर पैसा कमाते हैं। यह दोहरा रवैया क्यों? आप बॉलीवुड से पैसा तो कमाना चाहते हैं लेकिन हिंदी को स्वीकार नहीं करना चाहते, यह किस प्रकार का तर्क है। इसी के साथ उन्होंने केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति का विरोध करने पर भी तमिलनाडु सरकार की आलोचना की।
पवन कल्याण ने अपनी जनसेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस के अवसर पर शुक्रवार को उनके विधानसभा क्षेत्र पीथापुरम में आयोजित जनसभा में यह बाते कहीं। उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता आखिर कुछ लोग संस्कृत, हिंदी या अन्य भाषाओं का विरोध क्यों करते हैं। मंदिरों में संस्कृत भाषा में मंत्रोच्चार किया जाता है जबकि मुसलमान अरबी या उर्दू में दुआ पढ़ते हैं, लेकिन क्या इन प्रार्थनाओं को तमिल या तेलुगु में पढ़ा जाना चाहिए? डीएमके के हिंदी विरोधी रुख को उन्होंने गुमराह करने वाला रवैया करार दिया। इसी के साथ पवन कल्याण ने विवाद को खत्म करने और उत्तर-दक्षिण के बीच विभाजन के मुद्दे को छोड़कर आपसी एकता और अखंडता की गुजारिश की।
आंध्र डिप्टी सीएम ने कहा कि किसी भी चीज को तोड़ना तो आसान होता है मगर उसको बनाने में कड़ी मेहनत और लंबा समय लगता है। इसलिए लोगों को एकजुट रहना चाहिए, साथ ही उन्होंने जनता को ऐसी राजनीतिक पार्टियों से बचने की सलाह दी जो देश को तोड़ने का प्रयास करती हैं। आपको बता दें कि तमिलनाडु की स्टालिन सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार नई शिक्षा नीति के नाम पर हिंदी हो दक्षिण भारत के राज्यों पर जबर्दस्ती थोपना चाहती है।