
नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने (ईडी) ने एक्शन लेते हुए उनकी करोड़ों की संपत्ति को जब्त कर लिया है। लगभग 14 साल पुराने मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में जांच एजेंसी ने यह कार्रवाई की है। रेड्डी की 27.5 करोड़ की संपत्ति के अलावा डालमिया सीमेंट्स भारत लिमिटेड (डीसीबीएल) की 377.2 करोड़ संपत्ति को भी ईडी ने अटैच किया है। वहीं डीसीबीएल का दावा है कि उसकी जब्त की गई संपत्ति की कीमत 793.3 करोड़ रुपये है। जगन मोहन पर आरोप है कि उन्होंने अपने दिवंगत पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी के प्रभाव के चलते निजी कंपनियों को सरकारी लाभ दिलाया और खुद की कंपनियों में इनवेस्ट कराया।
ईडी ने जगन मोहन रेड्डी के सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, हर्षा फर्म और कार्मेल एशिया होल्डिंग्स लिमिटेड में शेयरों को जब्त किया है। सीबीआई ने साल 2011 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। आरोप है कि डीसीबीएल ने भारती सीमेंट कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया था जो कि जगन मोहन रेड्डी से संबंधित है। जगन पर आरोप है कि अपने पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी के प्रभाव का लाभ लेते हुए उन्होंने डीसीबीएल को कडप्पा जिले में 407 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन पट्टा दिलाया था।
ईडी के मुताबिक जगन मोहन रेड्डी के ही प्रतिनिधित्व वाली रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड कंपनी में डीसीबीएल के द्वारा 95 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। ईडी और सीबीआई का यह भी आरोप है कि जगन मोहन रेड्डी और डीसीबीएल के बीच हुए कान्ट्रैक्ट के तहत रघुराम सीमेंट्स लिमिटेड के शेयर एक फ्रेंच कंपनी को 135 करोड़ में बेचे गए। इसका 55 करोड़ रुपया कैश में जगन को हवाला के जरिए भुगतान किया गया। इस मामले में अप्रैल 2013 में जगन और अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी।