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PF Interest Rate: निजी क्षेत्र में काम करने वाले 6 करोड़ से ज्यादा कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, पिछले साल के मुकाबले पीएफ पर ब्याज दर बढ़ाने का ईपीएफओ का फैसला

PF Interest Rate: इससे पहले पिछले साल 28 मार्च को ईपीएफओ ने पीएफ पर 8.15 फीसदी ब्याज का एलान किया था। वित्त वर्ष 2022 में ईपीएफओ ने पीएफ पर 8.10 फीसदी ब्याज दिया था। अब ब्याज दर बढ़ने से पीएफ खाते वाले कर्मचारियों को फायदा होगा।

नई दिल्ली। निजी क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों कर्मचारियों के लिए बहुत अच्छी खबर आई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ के ट्रस्टीज ने इस साल पीएफ पर 0.10 फीसदी ब्याज दर बढ़ाने का फैसला किया है। अब तक निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को पीएफ पर 8.15 फीसदी ब्याज दर दी जा रही थी। ताजा फैसले को वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद कर्मचारियों को 8.25 फीसदी ब्याज मिलेगा। इससे पहले पिछले साल 28 मार्च को ईपीएफओ ने पीएफ पर 8.15 फीसदी ब्याज का एलान किया था। महंगाई लगातार बढ़ने को देखते हुए कर्मचारियों को इस बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी मिलने की आशा थी। वित्त वर्ष 2022 में ईपीएफओ ने पीएफ पर 8.10 फीसदी ब्याज दिया था।

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मोदी सरकार की तरफ से लगातार बताया गया है कि 2023 और इस साल अब तक निजी क्षेत्र में कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ी है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक अभी निजी क्षेत्र में काम करने वाले 6.5 करोड़ लोग हैं। ईपीएफओ की तरफ से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के फैसले से सभी को फायदा होगा और उनको पीएफ में जमा धन पर ज्यादा आमदनी हो सकेगी। इससे उनका भविष्य और मजबूत हो सकेगा। जानकारी के मुताबिक वित्त मंत्रालय की तरफ से मंजूरी के बाद ताजा ब्याज दर वॉलेंटरी पीएफ और एक्जेम्पटेड ट्रस्ट्स के कर्मचारियों को भी मिल सकेगा। अगर आपके पीएफ खाते में 1 लाख रुपए हैं, तो ताजा फैसले के मुताबिक आपको 8250 रुपए ब्याज मिलेगा। हर एक लाख पर ब्याज की यही दर लगेगी यानी हर लाख पर पिछले साल के मुकाबले 100 रुपए ज्यादा मिलेंगे।

निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की बेसिक तनख्वाह पर 12 फीसदी की कटौती कर उसे पीएफ में जमा किया जाता है। कंपनी भी 12 फीसदी के हिसाब से अपना अंशदान देती है। कंपनी जो जमा करती है, उसका 8.33 फीसदी हिस्सा कर्मचारी की पेंशन के मद में जाता है। किसी भी कंपनी में 10 या ज्यादा कर्मचारी होने पर पीएफ काटने का नियम है और इसे हर महीने जमा किया जाता है। अगर कोई कंपनी पीएफ के मद में कटौती के बाद भी इसे जमा नहीं करती, तो भू-राजस्व की तरह उससे वसूली की जाती है।