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बिहार: अपहरण के 1 महीने बाद भी प्रोफ्रेसर का कोई सुराग नहीं, पुलिस प्रशासन की नाकामी पर उठ रहे सवाल

मामले को सुलझाने में सीनियर पुलिस अधिकारी भी जुटे हैं। इस मामले का निरीक्षण खुद अररिया जिले के एसपी अशोक कुमार सिंह कर रहें हैं। बीते दिनों एसपी और एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने घटनास्थल का जायजा लिया और प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्र के परिजनों से पूछताछ भी की लेकिन किडनैंपिग के एक महीने बाद ही उनका कोई सुराग नहीं मिला है।

नई दिल्ली। बिहार में पिछले कुछ समय से अपराधियों के हौंसले बुलंद हैं। एक बार फिर से अपहरण की घटनाएं सामने आ रही हैं और अपराधी एक के बाद एक वारदात को अंजाम देने में कामयाब हो रहे हैं। सरकार का क्राईम के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ और पुलिस की कार्रवाई का वादा केवल कैमरे के लिए रोचक वक्तव्य बनकर रह जाता है। अररिया लॉ कॉलेज के अपहृत प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्र का किस्सा राज्य में ऐसे ही खस्ताहाल पुलिस महकमा और उसकी कमियों को उजागर करता है। प्रोफेसर अपने इलाके के कुछ गण्मान्य व्यक्तिओं में गिने जाते हैं, एक प्रतिष्ठित कॉलेज में पढ़ाने के अलावा उनकी अपनी समाज में अपनी एक साथ थी लेकिन उनके अपहरण से पूरा कस्बा स्तब्ध है। आज उनके अपहरण के 1 महीने 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन उनका अता-पता तो दूर, कोई सुराग तक नहीं मिला है। प्रोफेसर के परिजन यहां-वहां भटकने को मजबूर हैं। लेकिन इससे भी ज्यादा गंभीर और विकट समस्या है – अररिया पुलिस की लापरवाही और लचर-पचर व्यव्स्था। हालांकि पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा है लेकिन अपहरण की गुत्थी सुलझने से कहीं दूर है।

FIR

गौरतलब है कि मामले को सुलझाने में सीनियर पुलिस अधिकारी भी जुटे हैं। इस मामले का निरीक्षण खुद अररिया जिले के एसपी अशोक कुमार सिंह कर रहें हैं। बीते दिनों एसपी और एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने घटनास्थल का जायजा लिया और प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्र के परिजनों से पूछताछ भी की लेकिन किडनैंपिग के एक महीने बाद ही उनका कोई सुराग नहीं मिला है। प्रोफेसर के परिजनों ने पुलिस और प्रशासन पर सीधे-सीधे सवाल खड़े किये हैं। उनका कहना है कि अररिया पुलिस के लचर रवैये के कारण केस में कोई प्रोगेस नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि मामला राज्य के मंत्री के संज्ञान में है, मुख्यमंत्री दरबार में उठाया गया है फिर भी पुलिस टीम केवल लिप-सर्विस करने में जुटी है। परिवार के लोगों ने बताया कि कई बार उन्होंने पुलिस को आरोपियों के बारे में जानकारी दी लेकिन त्वरित कार्रवाई नहीं होने के कारण वो भागने में कामयाब हुए।

FIR

164 के बयान में प्रकाश कुमार मिश्रा, अर्जुन आचार्य, राकेश कुमार, राजीव कुमार , बबलू कुमार, दीपक कुमार, भुवन मिश्रा का नाम है। जिसमें प्रकाश मिश्रा को गिरफ़्तार कर जेल में भेज दिया गया है बाक़ी आरोपियों के ख़िलाफ़ सीजेएम ने वारंट जारी कर केस की तात्कालिक आइओ ज्योति कुमारी को बुलाकर सबको अरेस्ट करने का ऑर्डर दिया था लेकिन केस की तात्कालिक आइओ ने वारंट के एक हफ़्ते बाद तक किसी को गिरफ़्तार नहीं किया और पुलिस की इसी ढिलाई का फ़ायदा उठाकर सारे आरोपी भागने में सफल हो गए हैं। पुलिस हर दिन रणनीति बनाती है लेकिन आजतक कुछ सकारात्मक परिणाम नहीं निकाल पाई है ना ही किसी को गिरफ़्तार कर पाई है। अररिया का लॉ एंड ऑर्डर बेहद ख़स्ताहाल है जो पुलिस पर कई सवाल खड़े करता है।

इस मामले में पूर्णिया यूनिवर्सिटी के वीसी ने भी डीएम अररिया और एसपी अररिया को चिट्ठी लिखकर मामले में तेज कार्रवाई की मांग की है।उधर, जब न्यूजरूम पोस्ट ने उक्त प्रकरण के संदर्भ में अररिया के डीएसपी पुष्कर कुमार से संपर्क किया तो उन्होंने माना कि तहकीकात किसी ठोस मुकाम पर नहीं पहुंच पाई है।

“अभी तक कोई सुराग भी नहीं मिला है और ना ही इस बात की पुष्टि हुई है कि उनकी किडनैपिंग हुई है। अब मामले की तफ्तीश के लिए नेपाल जाने की बात भी सामने आ रही है। लेकिन हम लोग मामले के निपटारे के लिए प्रयासरत हैं, तो जब तक उनकी बरामदगी नहीं हो जाती है, तब तक कुछ कह नहीं सकते हैं,” डीएसपी ने बातचीत में बताया।

जब सवाल पुलिस महकमे की ढ़िलाई और केस की खानापूर्ति पर किया गया तो वो इसका ठिकरा पीड़ित परिवार पर फोड़ते दिखे।
परिजनों का आरोप है कि पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है। इसपर डीएसपी ने कहा, ‘देखिए आरोप तो इसमें बहुत लगाए जा रहे हैं। अब यह इनका पारिवारिक विवाद है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है और जल्द ही प्रकरण का निस्तारण कर लिया जाएगा।“

इसके साथ प्रोफेसर विपिन किशोर मिश्र की पत्नी ने भी अरिरया पुलिस की लचर प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस इस  मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है और जांच-पड़ताल के नाम पर केवल खानापूर्ति कर रही है। यदि गंभीरता से लिया होता, तो मसला सुलझ गया होता।

देखिए वीडियो 

बहरहाल, इस पूरे अपहरण प्रकरण के बीच लॉ कॉलेज के प्रोफेसर और उनका परिवार पुलिस से बहुत उम्मीदें लगाये बैठा है। अफसोसजनक है कि जिले में जाने-माने प्रोफेसर की किडनैपिंग को 1 महीने से ऊपर का वक्त बीत चुका है लेकिन पुलिस से लेकर जिला प्रशासन, किसी ने परिवार की सुध लेने का प्रयास नहीं किया। ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या राज्य सरकार की उदासीनता, अपराधियों के ऐसे ईरादे के लिए जिम्मेदार नहीं है।