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FIR On Megha Engineering : चुनावी चंदा देने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी पर सीबीआई ने कसा शिकंजा, जानिए किस मामले में हुई कार्रवाई

FIR On Megha Engineering : सीबीआई ने इस मामले में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के अलावा इस्पात मंत्रालय के एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट के 8 अधिकारियों और मेकॉन के दो अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।

नई दिल्ली। इलेक्टोरल बॉन्ड यानी कि चुनावी चंदा देने वाली दूसरी सबसे बड़ी फर्म मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई ने केस दर्ज किया है। जांच एजेंसी की ओर से ये कार्रवाई कंपनी द्वारा रिश्वत देने के एक मामले में की गई है। पामिरेड्डी पिची रेड्डी और पीवी कृष्णा रेड्डी के स्वामित्व वाली मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी पर सीबीआई ने 315 करोड़ रुपए के प्रोजेक्‍ट से संबंधित रिश्वत के मामले में यह कार्रवाई की है। बता दें कि हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।

सीबीआई ने इस मामले में इस्पात मंत्रालय के एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट के 8 अधिकारियों और मेकॉन के दो अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। सीबीआई को मिली श‍िकायत में आरोप लगाए गए थे क‍ि एनआईएसपी के 8 अधिकारियों और मेकॉन लिमिटेड के 2 अफसरों ने एनएमडीसी की ओर से मेघा इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल लिमिटेड को क‍िए गए भुगतान के बदले रिश्वत ली थी। सीबीआई ने एनआईएसपी और एनएमडीसी लिमिटेड के जिन अधिकारियों पर केस किया है उनमें डायरेक्‍टर डीके मोहंती, डीजीएम पीके भुइयां, डीएम नरेश बाबू, सीनियर मैनेजर सुब्रो बनर्जी, जीएम ( फाइनेंस) के राजशेखर, मैनेजर (फाइनेंस) सोमनाथ घोष, रिटायर्ड सीजीएम (फाइनेंस) एल कृष्ण मोहन और रिटायर्ड एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर प्रशांत दश शामिल हैं। इन पर 73.85 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक मेघा इंजीनियरिंग कंपनी की ओर से सबसे अधिक 586 करोड़ रुपये भाजपा को दिए गए थे। वहीं अन्य पार्टी बीआरएस को 195 करोड़, वाईएसआरसीपी को 37 करोड़ रुपये का दान कंपनी के द्वारा दिया गया। इसके अतिरिक्त डीएमके को 85 करोड़ रुपये और टीडीपी को करीब 25 करोड़ रुपये मिले। कंपनी की ओर से कांग्रेस को 17 करोड़, जेडीएस, जन सेना पार्टी और जेडीयू को 5 लेकर 10 करोड़ रुपये तक की राशि इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत दी गई।