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Atul Subhash Case: ‘FIR रद्द नहीं की जाएगी, अतुल सुभाष केस में निकिता सिंघानिया की अपील खारिज करते हुए जानिए क्या बोले कर्नाटक HC के जस्टिस?

Atul Subhash Case: जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार ने निकिता सिंघानिया से सवाल किया कि वह मामले की जांच करवाने से क्यों बचना चाहती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने के स्पष्ट आरोप दर्ज हैं। ऐसे में इस मामले को जांच के लिए आगे बढ़ाना जरूरी है।

नई दिल्ली। कर्नाटक हाई कोर्ट ने सोमवार को अतुल सुभाष सुसाइड मामले में उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया की एफआईआर रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में एफआईआर को लेकर दर्ज तथ्यों को पर्याप्त मानते हुए याचिका को अस्वीकार कर दिया।

क्या कहा कोर्ट ने?

जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार ने निकिता सिंघानिया से सवाल किया कि वह मामले की जांच करवाने से क्यों बचना चाहती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने के स्पष्ट आरोप दर्ज हैं। ऐसे में इस मामले को जांच के लिए आगे बढ़ाना जरूरी है।

निकिता सिंघानिया के वकील का तर्क

निकिता सिंघानिया के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि एफआईआर दर्ज कराने वाली शिकायत में आत्महत्या के लिए उकसाने से संबंधित कोई तथ्य नहीं है। वकील ने यह भी कहा कि अतुल सुभाष ने अपनी सुसाइड नोट या किसी अन्य माध्यम से निकिता सिंघानिया या उनके परिवार पर ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया जिससे आत्महत्या का संबंध हो।

अदालत ने क्या निर्देश दिए?

कोर्ट ने मामले के प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया। साथ ही अभियोजन पक्ष को जांच के दौरान जुटाई गई सामग्री पेश करने का आदेश दिया गया।

परिवार करेगा फैसले के खिलाफ अपील

इस बीच, बेंगलुरु की एक अदालत ने 4 जनवरी 2025 को निकिता सिंघानिया और उनके परिवार वालों को जमानत दे दी। अतुल सुभाष के परिवार ने इस फैसले पर असंतोष जताते हुए कहा कि वे हाई कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे।

क्या है मामला?

अतुल सुभाष की संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या ने कई सवाल खड़े किए हैं। परिवार का आरोप है कि निकिता सिंघानिया और उनके परिवार की प्रताड़ना के कारण अतुल ने यह कदम उठाया।

आगे की कार्रवाई

कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच में तेजी आने की संभावना है। अभियोजन पक्ष को सभी सबूत पेश करने के लिए कहा गया है, जिससे मामले में सच्चाई सामने आ सके।