नई दिल्ली। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म प्लास्टिक का आकलन करने और इसके पता लगाने के तरीकों को विकसित करने के लिए एक नई परियोजना की शुरुआत की है। यह कदम हाल ही में हुए एक अध्ययन के बाद उठाया गया है, जिसका शीर्षक “नमक और चीनी में सूक्ष्म प्लास्टिक” था। इस अध्ययन को पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक लिंक (Toxics Link) द्वारा किया गया था और इसमें 10 प्रकार के नमक और चीनी के नमूनों का परीक्षण किया गया। अध्ययन में सभी नमक और चीनी के नमूनों में सूक्ष्म प्लास्टिक की मौजूदगी पाई गई, जो विभिन्न रूपों में थे जैसे कि फाइबर, पेलेट्स, फिल्म्स और टुकड़े। इन सूक्ष्म प्लास्टिक का आकार 0.1 मिमी से 5 मिमी के बीच था।
FSSAI ने अपने बयान में कहा, “हालांकि वैश्विक अध्ययनों ने विभिन्न खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म प्लास्टिक की मौजूदगी को उजागर किया है, लेकिन भारत के लिए विशिष्ट और विश्वसनीय डेटा उत्पन्न करना आवश्यक है। यह परियोजना भारतीय खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म प्लास्टिक संदूषण की सीमा को समझने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रभावी नियमों और मानकों को तैयार करने में मदद करेगी।”
टॉक्सिक लिंक के अध्ययन के अनुसार, आयोडीन युक्त नमक में सूक्ष्म प्लास्टिक की सबसे अधिक मात्रा (89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम) पाई गई, जबकि जैविक चट्टानी नमक (ऑर्गेनिक रॉक सॉल्ट) में सबसे कम (6.70 टुकड़े प्रति किलोग्राम) सूक्ष्म प्लास्टिक मिला। चीनी के नमूनों में, सूक्ष्म प्लास्टिक की मात्रा 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किलोग्राम के बीच पाई गई, जिसमें गैर-जैविक चीनी (नॉन-ऑर्गेनिक शुगर) में सबसे अधिक मात्रा दर्ज की गई।
FSSAI Launches Project to Address Microplastic Contamination in Indian Food
New FSSAI Initiative Aims to Develop Detection Methods and Assess Prevalence of Microplastics in Indian Food
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— PIB India (@PIB_India) August 18, 2024
FSSAI द्वारा मार्च में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक के विश्लेषण के लिए मानक प्रोटोकॉल विकसित करना, प्रयोगशालाओं के बीच तुलनात्मक अध्ययन करना, और उपभोक्ताओं के बीच सूक्ष्म प्लास्टिक के संपर्क स्तरों पर महत्वपूर्ण डेटा उत्पन्न करना है। इस अध्ययन को देशभर के प्रमुख शोध संस्थानों के सहयोग से लागू किया जा रहा है, जिनमें CSIR-भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (लखनऊ), ICAR-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (कोच्चि), और बिरला प्रौद्योगिकी और विज्ञान संस्थान (पिलानी) शामिल हैं।