
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने सिविल सेवा भर्ती प्रक्रिया में सुधार किए जाने का पक्ष लिया है। उनकी राय में यूपीएससी परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों की अधिकतम उम्र को कम किया जाना चाहिए और साथ ही परीक्षा के प्रयासों की संख्या भी घटाई जानी चाहिए। सुब्बाराव ने 40 वर्ष की उम्र पार कर चुके अनुभवी प्रोफेशनल्स को भी प्रशासनिक सेवा में लाए जाने की वकालत करते हुए उनके लिए एक अलग परीक्षा के आयोजन का सुझाव दिया है। अपनी इन बातों को लेकर सुब्बाराव ने कुछ तर्क भी दिए हैं।
डी. सुब्बाराव ने टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने एक लेख में साल 2024 के सिविल सेवा परिणाम में चयनित अभ्यर्थियों को बधाई दी। साथ ही उन्होंने उन स्टूडेंट्स का मुद्दा उठाया जो परीक्षा में सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि एक सफल उम्मीदवार के पीछे कम से कम 10 लोग वो होते हैं जो सालों तैयारी करने के बाद भी असफल रह जाते हैं। एग्जाम क्लियर ना होने पर वो वहीं आ जाते हैं जहां से शुरूआत हुई थी। यह मेहनत और समय की बर्बादी है। सुब्बाराव बोले, बार-बार असफल होने के बावजूद उम्मीदवार सोचते हैं कि जब इतनी मेहनत की और अगर अब छोड़ दिया तो सब व्यर्थ हो जाएगा, इसलिए वो यह सोचकर फिर तैयारी में जुट जाते हैं कि शायद इस बार हो जाए। इसी सोच के चलते कई युवाओं के जीवन के सबसे अच्छे साल खराब हो जाते हैं।
सुब्बाराव ने कहा कि यूपीएससी के अधिकतम उम्र सीमा 27 साल और अधिकतम प्रयासों की संख्या तीन होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि जब छह बार मौका मिलता है तो लोग एग्जाम को क्रैक करने की तकनीक समझ जाते हैं, ना कि असल टैलेंट या योग्यता के आधार पर चुने जाते हैं। इससे गलत चयन की संभावना भी बढ़ जाती है। साथ ही उन्होंने कहा कि जो युवा सिविल सेवा में आते हैं वो दुनिया और प्रशासन के बाहर की समझ से अनजान होते हैं ऐसे में 40 की उम्र वाले मिड-कैरियर प्रोफेशनल्स इस कमी को पूरा करेंगे।