
तिरुवनंतपुरम। कोविड के वक्त केरल में तमाम मरीज मिले थे। अब केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा यानी दिमाग को खा जाने वाले अमीबा के मरीज मिल रहे हैं। केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा का चौथा मरीज मिला है।
मीडिया की खबरों के मुताबिक ब्रेन ईटिंग अमीबा यानी अमीबिक मेनिंगोइन्सफेलाइटिस से पीड़ित बच्चा अस्पताल में भर्ती है। ये बच्चा केरल के पय्योली जिले का निवासी है। पय्योली जिला उत्तरी केरल में है। मई के बाद से केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा का ये चौथा मरीज है। इससे पहले तीन बच्चे इस खतरनाक ब्रेन ईटिंग अमीबा के कारण मौत की गोद में समा चुके हैं। ब्रेन ईटिंग अमीबा के कारण बीती 21 मई को मलप्पुरम में 5 साल की बच्ची की मौत हो गई थी। वहीं, 25 जून को केरल के कन्नूर में 13 साल की लड़की की ब्रेन ईटिंग अमीबा के कारण मौत हुई। इसके बाद बीते दिनों ब्रेन ईटिंग अमीबा के कारण 14 साल के लड़के ने भी जान गंवाई थी।
अब आपको बताते हैं कि ब्रेन ईटिंग अमीबा क्या होता है? इस खतरनाक अमीबा का नाम नाग्लेरिया फौलेरी है। ये अमीबा तालाबों, झीलों और पानी के अन्य स्रोतों में मिलता है। इन जगह नहाने पर अमीबा नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद ये सीधे दिमाग यानी ब्रेन में पहुंच जाता है। जहां ये दिमाग के ऊतकों को नष्ट करना शुरू करता है। इससे ब्रेन काम करना बंद कर देता है और शरीर को इस वजह से लकवा मारता है। ब्रेन ईटिंग अमीबा के शरीर में प्रवेश करने से तेज सिरदर्द, बुखार, उल्टी, गर्दन में अकड़न, भ्रम, संतुलन बिगड़ना और रोशनी अच्छी न लगना जैसे लक्षण मरीज को होते हैं। इसके बाद मरीज कोमा में चला जाता है। ब्रेन ईटिंग अमीबा से बचने के लिए तालाब, झील वगैरा में न नहाएं और न तैराकी करें। अगर नहा या तैराकी कर रहे हैं, तो अपने मुंह और नाक को पानी से बाहर रखें। अगर तालाब या झील में नहाने के बाद तेज सिरदर्द हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।