नई दिल्ली। एक दौर था, जब अमेरिका की तरफ से भारत को बहुत अच्छा दोस्त नहीं माना जाता था। अमेरिका उस दौर में भारत के दुश्मन पाकिस्तान की हर तरह से मदद करता रहा। फिर पाकिस्तान की पोल-पट्टी खुलनी शुरू हुई। खुलासा होने लगा कि अमेरिका से मिलने वाले धन और हथियार का इस्तेमाल वो भारत में आतंकी गतिविधियों के लिए करता है। इसके बाद से ही भारत और अमेरिका के रिश्तों में गर्माहट आनी शुरू हुई। दोनों देशों के बीच रिश्तों की गर्माहट कितनी है, ये इसी से पता चलता है कि करीब 14 घंटे का हवाई सफर कर जी-20 शिखर बैठक के लिए शुक्रवार को दिल्ली पहुंचते ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन आराम करने के लिए होटल नहीं गए। वो पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे।
मोदी और बाइडेन के बीच महज 52 मिनट ही बातचीत हुई, लेकिन इन 52 मिनट में ही दोनों देशों ने बहुत अहम मसलों पर फैसले ले लिए। मसलन भारत और अमेरिका के बीच विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में एक विवाद का विषय बना था। उसे मोदी और बाइडेन ने हल कर लिया। इसके अलावा भारत की सुरक्षा के लिहाज से 31 हमलावर एमक्यू9बी रीपर ड्रोन खरीदने पर मुहर लग गई। इनमें से 16 ड्रोन वायुसेना और सेना को, जबकि, 15 नौसेना को मिलेंगे। भारत में अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए जीई-414 जेट इंजन के निर्माण के लिए एचएएल और अमेरिका की जीई एयरोस्पेस के बीच बातचीत भी शुरू करने पर मोदी और बाइडेन ने सहमति जताई। इसके अलावा स्पेस और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस यानी एआई के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का फैसला भी इस 52 मिनट की मीटिंग में हो गया।
मोदी और बाइडेन के बीच छोटे और मॉड्यूलर परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने पर भी बात होने की खबर है। इसके अलावा अमेरिका अगले 5 साल में 400 मिलियन डॉलर निवेश करेगा। भारत में पर्यावरण सुधार के लिए बिजली वाली बसों की खरीद में भी तेजी आएगी। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी और आईआईटी कानपुर और अमेरिका की बफेलो स्टेट यूनिवर्सिटी के ज्वॉइंट रिसर्च सेंटर और आईआईटी दिल्ली आईआईटी कानपुर, आईआईटी जोधपुर और बीएचयू के बीच उभरती तकनीकी के क्षेत्र में भी साझेदारी का फैसला पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडेन ने किया।