नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से जिस तरह भ्रामक सूचनाओं का प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है, उसे लेकर केंद्र सरकार ने अब सख्त रुख अख्तियार किया है। इस दिशा अब केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कड़ा कदम उठाया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने आज आईटी नियमों में प्रस्तावित संशोधन की घोषणा की है। इसके तहत सरकार द्वारा नियुक्त संगठन को सरकार से संबंधित किसी भी झूठी या भ्रामक सामग्री की पहचान करने के लिए अनिवार्य किया गया है। वहीं, राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि गलत सूचना के बारे में आईटी नियमों में प्रावधान है कि भारत सरकार एक संगठन को सूचित करेगी और वह संगठन सभी बिचौलियों के लिए सरकार से संबंधित सामग्री का एक फैक्ट चेकर होगा।
उन्होंने आगे कहा कि जिन्होंने उस सामग्री को चुना है, उन्हें उस व्यक्ति से निपटना होगा, जो कि कानून की दृष्टि में खुद को पीड़ित बता रहा है। यह अनिवार्य नहीं है कि किसी को अधिसूचित संगठन जो कहता है, उसे लेना है, लेकिन फिर आपको कानून की अदालत में इससे निपटना होगा। राजीव चंद्रशेखर ने आगे कहा कि यदि कोई मध्यस्थ तथ्य जांच इकाई द्वारा कहे जाने के बाद सामग्री को नहीं हटाने का विकल्प चुनता है, तो मध्यस्थ उस सामग्री के लिए सुरक्षित स्थान खो देगा। बता दें कि इससे पूर्व जनवरी माह में मंत्रालय ने आईटी नियमों में मसौदा संशोधन पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि पत्र सूचना ब्यूरो की तथ्य जांच इकाई द्वारा नकली या गलत के रूप में पहचाने जाने वाले समाचारों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने की आवश्यकता है।
राजीव चंद्रशेखर ने आगे कहा कि अभी हमें भ्रामक सूचनाओं के खिलाफ आगामी दिनों में और भी कदम उठाने होंगे। मैजूदा वक्त में सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने आगे कहा कि मैंने मध्यस्थ सुझाव मांगे हैं, क्या कोई एसआरओ हो सकता है, ताकि वे एक बड़ी भूमिका निभा सकें और इंटरनेट गलत सूचना और गलत सूचना से मुक्त हो। बहरहाल, अब आगामी दिनों में सरकार की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों से भ्रामक सूचनाओं का प्रचार प्रसार काफी तेजी से बढ़ रहा है, जिसे लेकर अब सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। अब ऐसे में आगामी दिनों में सरकार की ओर से इस दिशा में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।