Mughal Garden: अब इस नाम से जाना जाएगा मुगल गार्डन, सरकार ने बदल दिया पुराना नाम

यह नामकरण आजादी के अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए किया गया है। ध्यान रहे कि इससे पहले भी मुगल काल के दौरान रखे गए नाम को भी आधुनिक भारत के नाम पर रखा गया था। जिसे लेकर समय-समय पर राजनीति में एक तबके के बीच बहस होती भी हुई भी दिखी। इससे पहले राजपथ का नाम कर्तव्य पथ किया गया था।

सचिन कुमार Written by: January 28, 2023 4:31 pm

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति भवन के पास स्थित मुगल गार्डन का नाम बदल दिया है। अब इसे अमृत उद्यान के नाम जाना जाएगा। यह नामकरण आजादी के अमृत महोत्सव को ध्यान में रखते हुए किया गया है। ध्यान रहे कि इससे पहले भी मुगल काल के कई ऐतिहासिक इमारतों व स्थलों के नाम सरकार की तरफ से बदले जा चुके हैं। जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में विमर्श भी होता हुआ दिखा है। बता दें कि इससे पहले  राजपथ का नाम कर्तव्य पथ और औरंगजेब रोड का नाम डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कर दिया गया था।

उधर, राष्ट्रपति भवन ने अपने एक बयान में बताया कि आगामी 31 जनवरी से लेकर 31 मार्च तक उद्यान गार्डन खुला रहेगा। तो इस बीच अगर कोई चाहे तो यहां घूमने के लिए आ सकता है। वहीं, 28 और 29 मार्च को महज किसानों और दिव्यांगों के लिए यह खुला रहेगा। इसके बाद 30 मार्च को सेना के परिवारों के लिए मुगल गार्डन को खोलने की योजना है। इस तरह से क्रमबद्धता से सभी लोगों के लिए मुगल गार्डन के द्वारा खोले जाएंगे, ताकि किसी को भी कोई दिक्कत ना हो।

इसके अलावा अमृत उद्यान में एंट्री लेने से पहले आपको ऑनलाइन टिकट बुक करानी होगी। ध्यान रहे कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सिर्फ ऑनलाइन टिकट की ही व्यवस्था की गई है। अंदर जाने की एंट्री महज उन्हीं लोगों को मिलेगी, जिनके पास टिकट होगा। बिना टिकट वालों को एंट्री की इजाजत नहीं होगी। बता दें कि मुगल गार्डन सुबह सात बजे से लेकर शाम  चार बजे तक खुला रहता है। इसके बाद इसे सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया जाता है।

वहीं, सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मी हर गतिविधियों पर विशेष नजर बनाए रखते हैं। वहीं, अब नाम बदलने की सरकार की प्रक्रिया को लेकर अब एक बार फिर से सियासी गलियारों में बहस का सिलसिला शुरू हो चुका है। ध्यान रहे कि इससे पहले सरकार की तरफ से कई ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदले जा चुके हैं, जिसका विपक्षी दलों की तरफ से प्रतिकार किया गया है। लेकिन, सरकार का तर्क है कि भारत में स्थित उन सभी ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदले जा रहे हैं, जिनका मुगलों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से जुड़ाव रहा है।