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Anand Mohan: चुनाव में फायदा लेने के लिए नियम बदलकर नीतीश सरकार ने बाहुबली आनंद मोहन को दी सजा से छूट? जानिए क्या है राजपूत वोटों का गणित

आनंद मोहन की रिहाई का परवाना कटने के बाद दलित आईएएस रहे जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने भी आरोप लगाया है कि राजपूत वोटों की खातिर उनके पति के हत्यारे को रिहा करने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने कारागार नियम बदल दिया। आईएएस एसोसिएशन भी नीतीश सरकार के फैसले से बहुत नाराज है।

पटना। क्या आने वाले लोकसभा चुनाव और फिर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में राजपूत बहुल सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बाहुबली आनंद मोहन को नीतीश सरकार ने नियम बदलकर उम्रकैद की सजा से छूट दिलाई? ये सवाल अब उठ रहा है। इसकी वजह ये है कि आनंद मोहन जिस राजपूत समाज से आते हैं, उसका असर बिहार की तमाम लोकसभा और विधानसभा सीटों पर है। इन सीटों पर राजपूत वोटों से ही जीत और हार तय होती है। तो आनंद मोहन की रिहाई से राजपूत वोटों के गणित का क्या संबंध है, ये भी जान लेना जरूरी है।

anand mohan

आनंद मोहन की रिहाई के बाद राजपूत वोटों के गणित पर अब सबकी नजर जा रही है। बिहार में करीब 8 लोकसभा सीटों और 30 से 35 विधानसभा सीटों पर आनंद मोहन के समाज यानी राजपूतों के वोट बहुत मायने रखते हैं। बिहार में राजपूतों की आबादी करीब 8 फीसदी है। अगर पिछले दो चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बीजेपी ने 2019 में राजपूत समाज के राधामोहन सिंह को पूर्वी चंपारण से, राजीव प्रताप रूड़ी को छपरा से, जनार्दन सिग्रीवाल को महाराजगंज से, आरके सिंह को आरा से और सुशील सिंह को औरंगाबाद से लोकसभा का टिकट दिया था। ये सभी जीत गए थे। बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें, तो 2020 में 28 राजपूत विधायकों में सबसे ज्यादा 15 बीजेपी से जीते थे। आरजेडी से 7, जेडीयू से 2, वीआईपी से 2 के अलावा कांग्रेस और निर्दलीय का 1-1 राजपूत विधायक चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचा था।

आनंद मोहन की रिहाई का परवाना कटने के बाद दलित आईएएस रहे जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने भी आरोप लगाया है कि राजपूत वोटों की खातिर उनके पति के हत्यारे को रिहा करने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने कारागार नियम बदल दिया। उमा ने कहा है कि उनके पति की हत्या के दोषी आनंद मोहन को पहले मौत की सजा मिली थी। फिर उसे ऊंची अदालत ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया। उमा और उनकी बेटी ने आनंद मोहन को रिहा करने पर नाराजगी जताई है। आईएएस एसोसिएशन ने भी चिट्ठी जारी कर इस मामले में नीतीश कुमार की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।