
पटना। क्या आने वाले लोकसभा चुनाव और फिर 2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में राजपूत बहुल सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बाहुबली आनंद मोहन को नीतीश सरकार ने नियम बदलकर उम्रकैद की सजा से छूट दिलाई? ये सवाल अब उठ रहा है। इसकी वजह ये है कि आनंद मोहन जिस राजपूत समाज से आते हैं, उसका असर बिहार की तमाम लोकसभा और विधानसभा सीटों पर है। इन सीटों पर राजपूत वोटों से ही जीत और हार तय होती है। तो आनंद मोहन की रिहाई से राजपूत वोटों के गणित का क्या संबंध है, ये भी जान लेना जरूरी है।
आनंद मोहन की रिहाई के बाद राजपूत वोटों के गणित पर अब सबकी नजर जा रही है। बिहार में करीब 8 लोकसभा सीटों और 30 से 35 विधानसभा सीटों पर आनंद मोहन के समाज यानी राजपूतों के वोट बहुत मायने रखते हैं। बिहार में राजपूतों की आबादी करीब 8 फीसदी है। अगर पिछले दो चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बीजेपी ने 2019 में राजपूत समाज के राधामोहन सिंह को पूर्वी चंपारण से, राजीव प्रताप रूड़ी को छपरा से, जनार्दन सिग्रीवाल को महाराजगंज से, आरके सिंह को आरा से और सुशील सिंह को औरंगाबाद से लोकसभा का टिकट दिया था। ये सभी जीत गए थे। बिहार विधानसभा चुनाव की बात करें, तो 2020 में 28 राजपूत विधायकों में सबसे ज्यादा 15 बीजेपी से जीते थे। आरजेडी से 7, जेडीयू से 2, वीआईपी से 2 के अलावा कांग्रेस और निर्दलीय का 1-1 राजपूत विधायक चुनकर बिहार विधानसभा पहुंचा था।
जिस बिहार के लोग खुद वहां नही रहना चाहते, वो मेधावी दलित आंध्र प्रदेश से वहां नौकरी करने चले गए। 1994 में गोपालगंज के ही लोगों ने सांसद आनंद मोहन के नेतृत्व में डीएम जी कृष्णैया की हत्या कर दी। अब उसे रिहाई भी मिल गई है। कृष्णैया की पत्नी उमा देवी का कहना है, ये अन्याय है।#Bihar pic.twitter.com/6IVqjYFlt2
— Naval Kant Sinha | नवल कान्त सिन्हा (@navalkant) April 25, 2023
आनंद मोहन की रिहाई का परवाना कटने के बाद दलित आईएएस रहे जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने भी आरोप लगाया है कि राजपूत वोटों की खातिर उनके पति के हत्यारे को रिहा करने के लिए नीतीश कुमार की सरकार ने कारागार नियम बदल दिया। उमा ने कहा है कि उनके पति की हत्या के दोषी आनंद मोहन को पहले मौत की सजा मिली थी। फिर उसे ऊंची अदालत ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया। उमा और उनकी बेटी ने आनंद मोहन को रिहा करने पर नाराजगी जताई है। आईएएस एसोसिएशन ने भी चिट्ठी जारी कर इस मामले में नीतीश कुमार की सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।